
छठ पूजा चार दिवसीय व्रत है, यह व्रत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है यह व्रत ३६ घंटे का होता है इस व्रत के दौरान व्रतधारी पानी भी ग्रहण नहीं करते|
इस व्रत में छठी मैया की आराधना के साथ साथ सूर्य भगवान की आराधना भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है इस व्रत को चार भागो में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार है -:
नहाय खाय -: यह व्रत का पहला दिन होता है जो कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होता है इस दिन घर की सफाई करके पवित्र किया जाता है और भोजन भी दिन में एक बार ही बनता है जिसमे कद्दू की सब्जी ,मूंग चना दाल का प्रयोग करते है|
खरना और लोहंडा -: यह व्रत का दूसरा दिन होता है जो कातिक शुक्ल पंचमी को होता है इस दिन व्रतधारी पूरा दिन उपवास करते है और सूर्यास्त के बाद पानी ग्रहण करते है इस दिन चावल, गुड़ हुए गन्ने के रास का प्रयोग करके खीर बनायीं जाती है|
संध्या अर्घ्य -: यह व्रत का तीसरा दिन होता है जो कार्तिक शुक्ल षष्ठी को होता है इस दिन व्रतधारी गेहू के आटे से बना ठेकुआ जो की विशेष प्रसाद होता है जिसे महिलाये डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देकर पांच बार परिक्रमा करती है|
उषा अर्घ्य -: यह व्रत का अंतिम और बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है,जिसमे कार्तिक शुक्ल की सप्तमी को सुबह उदित सूर्य देव को अर्ध्य दिया जाता है सभी महिलाये घाट पर सूर्योदय के पहले पहुंच कर उगते सूर्य की पूजा करने लगते है|
इस तरह पुरे व्रत को बड़ी श्रद्धा के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है|