सभी सड़कें बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए अपने गृहनगर की ओर ले जाती हैं क्योंकि छठ पूजा 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू होती है, जो चार दिवसीय त्योहार का पहला अनुष्ठान है जो आगे 36 घंटे के कठो
सूर्योपासना का पर्व छठ पूजा आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ
सूर्योपासना का पर्व छठ पूजाआदिदेवनमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकरनमोस्तुते |सप्ताश्वरथमारूढ़ंप्रचण्डं कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं देव तं सूर्यप्रणाम्यहम् ||कोरोना के आतंक के बीच दीपावली के पाँचों पर्व हर्षोल्लास के साथ सम्पन्नहो चुके हैं और आज का
छठ पूजा चार दिवसीय व्रत है, यह व्रत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है यह व्रत ३६ घंटे का होता है इस व्रत के दौरान व्रतधारी पानी भी ग्रहण नहीं करते|इस व्रत में छठी मै
छठ पूजाशनिवार दो नवम्बर - कार्तिकशुक्ल षष्ठी - छठ पूजा का पावन पर्व – जिसका आरम्भ कल यानी कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से ही हो जाएगाऔर सारा वातावरण “हमहूँ अरघिया देबई हे छठी मैया” और “कांच ही बाँस के बहंगियाबहंगी चालकत जाए” जैसे मधुर लोकगीतों से गुंजायमान हो उठेगा | सर्वप्रथम सभी को छठ पूजा की हार्दिक शुभ
छठ पूजाआज कार्तिक शुक्ल षष्ठी - छठपूजा की सभी को हार्दिक बधाई | जैसाकि सभी जानते हैं, छठ पर्व हिन्दू समुदाय के लिए मूलतः भगवानसूर्य की आराधना का पर्व है | वास्तवमें देखा जाए तो हिन्दू धर्म के देवताओं में केवल सूर्य और चन्द्रमा ही ऐसे देवताहैं जिन्हें मूर्त रूप में देखा तथा अनुभव किया जा सकता है | स
बिहार की सबसे बड़ी पूजा छठ है. आस्था के महापर्व के नाम से जाना जाने वाला छठ पूरे बिहार में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. एक बिहारी की पहचान, उसके घर लौटने की वजह, छठ अपने आप में लाखों कहानियां समेटता है. छठ पर्व के आगाज़ की कई कहानियाँ समाज में प्रचलित हैं. रामायण से ल
छठ देवी को सूर्य देव की बहन बताया जाता है। लेकिन छठ व्रत कथा के अनुसार छठ देवी ईश्वर की पुत्री देवसेना बताई गई हैं। देवसेना अपने परिचय में कहती हैं कि वह प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई हैं यही कारण है कि मुझे षष्ठी कहा जाता है। देवी कहती हैं यदि आप सं
बिहार में क्यों मनाया जाता है छठ पूजा का पर्व, क्या है इसका इतिहास- भारत के प्रमुख भौगोलिक और सांस्कृतिक त्योहारों (लोक त्योहारों) में से एक है छठ पूजा। इसकी मान्यता वैदिक काल से ही है, इसीलिए यह प्राचीन परंपराओं का धनी पर्व है। अगर आप भी इस त्यौहार के बारे में जानना चाहत