कसक तो तुझमे भी है,
मेरे क़रीब आने की....
करीब आकर मुझमें
समां जाने की...
फिर भी कुछ है जो ,
हमे मिलने से रोकता है...
यह जमाना कुछ न कहकर भी ,
रिश्तों का डर दिखाकर .
टोकता है।।।
ऐसा नही की सब ही ,
खिलाफ है मेरे....
बस जो साथ है ,
वो कुछ खास है मेरे....
हर किसी ने कर देखी है,
हमारे रिश्ते की नुमाइश....
सरेआम हुई है मेरी,
मोहब्बत की आजमाईश ....
फिर भी अब तक थामें ,
रखा इसे.....
तू आये सब भुलाकर
और मिले मुझसे.....
बस इस बार तेरे मिलने का,
सबब अलग होगा......
मै अब इस बार यह नही चाहता ,
की तू इस बार भी सिर्फ मेरी ..
ख़ुशी के लिए मेरे पास आये
इस बार ये तेरी कसक ही हो,
जो तूमहे मेरे पास वापस लाये।।।।।।