shabd-logo

कसक

10 मई 2016

95 बार देखा गया 95

कसक तो तुझमे भी है,

मेरे क़रीब आने की....

करीब आकर मुझमें 

समां जाने की...


फिर भी कुछ है जो ,

हमे मिलने से रोकता है...

यह जमाना कुछ न कहकर भी ,

रिश्तों का डर दिखाकर .

टोकता है।।।


ऐसा नही की सब ही ,

खिलाफ है मेरे....

बस जो साथ है ,

वो कुछ खास है मेरे....


हर किसी ने कर देखी है,

हमारे रिश्ते की नुमाइश....

सरेआम हुई है मेरी,

मोहब्बत की आजमाईश ....


फिर भी अब तक थामें ,

रखा इसे.....

तू आये सब भुलाकर 

और मिले  मुझसे.....


बस इस बार तेरे मिलने का,

सबब अलग होगा......


मै अब इस बार यह नही चाहता ,

की तू इस बार भी सिर्फ मेरी ..

ख़ुशी के लिए मेरे पास आये 

इस बार ये तेरी कसक ही हो,

जो तूमहे मेरे पास वापस लाये।।।।।।

श्यानदत्त(अंकित)अंश्मी की अन्य किताबें

1
रचनाएँ
shyamdatt
0.0
जीवन मरण

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए