कसक
कसक तो तुझमे भी है,मेरे क़रीब आने की....करीब आकर मुझमें समां जाने की...फिर भी कुछ है जो ,हमे मिलने से रोकता है...यह जमाना कुछ न कहकर भी ,रिश्तों का डर दिखाकर .टोकता है।।।ऐसा नही की सब ही ,खिलाफ है मेरे....बस जो साथ है ,वो कुछ खास है मेरे....हर किसी ने कर देखी है,हमारे रिश्ते की नुमाइश....सरेआम हुई है