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सज सवंरके आती हैं जब वो सखियों के संग में लजाती लुभाती स्वयं में सकुचाती हर क़दम हर आहट पे रखती हैं ध्यान कहीं कोई अनजाना रस्ता न रोक ले कोई छू न ले उन अनछुई कोमल कलियों को
ये कविता वक़्त के बदलते मिज़ाज से सम्बंधित है इसमें ये बताया गया है ,कि किस तरह से समय व्यक्ति के जीवन में बदलाव ला सकता है वक़्त आज सवार