सज सवंरके आती हैं जब वो
सखियों के संग में
लजाती लुभाती स्वयं में सकुचाती
हर क़दम हर आहट पे
रखती हैं ध्यान
कहीं कोई अनजाना रस्ता न रोक ले
कोई छू न ले उन
अनछुई कोमल कलियों को
12 जुलाई 2019
सज सवंरके आती हैं जब वो
सखियों के संग में
लजाती लुभाती स्वयं में सकुचाती
हर क़दम हर आहट पे
रखती हैं ध्यान
कहीं कोई अनजाना रस्ता न रोक ले
कोई छू न ले उन
अनछुई कोमल कलियों को
दीक्षा जी , इस प्रेम भरी कविता के लिए आपको सौ में सौ अंक
13 जुलाई 2019
एहसास से परिपूर्ण, अच्छा लिखती हैं आप।
12 जुलाई 2019