डॉ. अजय कुमार साव
सिलीगुड़ी कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत। अपने 22 वर्षों के अध्यापन अनुभव के साथ सामाजिक जवाबदेही के तहत कभी सामाजिक सांस्कृतिक संस्था आयाम के द्वारा विद्यार्थी समाज को सृजनात्मक आयाम देने की पहल की, तो वर्तमान में 'साहित्य-कला, संस्कृत-राजनीति' केंद्रित यूट्यूब चैनल 'सपाट बयानी' द्वारा साहित्यिक रचनाओं एवं समसामयिक मुद्दों पर विद्वत मंडली के सहयोग से परिसंवाद आयोजित कर सामाजिक एवं नागरिकों को सामाजिक जवाबदेही के प्रति आगाह करने का शंखनाद भी कर रखा है। 'नव औपनिवेशिक मूल्य संकट और समकालीन हिंदी कथा साहित्य' पुस्तक का संपादन तथा 'पैरोकार', 'सार्थक', 'जनकृति', 'अपनी माटी', 'प्रेरणा', 'आपका तीस्ता-हिमालय' पत्रिकाओं में विशेषकर स्त्री मुद्दों पर केंद्रित आलेखों का प्रकाशन। इसके अलावा कई पुस्तकों में शोध आलेख का प्रकाशन। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आलेख पाठ एवं रिफ्रेशर कोर्स में बतौर विशेषज्ञ वक्ता के रूप में सहभागिता। विशेष रूचि स्त्री विमर्श के वर्तमान चलन को समग्रता दिलाने की दिशा में सक्रिय रहना। सदस्य, पश्चिमबंग हिंदी अकादमी, पश्चिम बंगाल सरकार।
प्रतिरोध के प्रतिमान : घरेलू महिला कामगार
घरेलू महिला कामगार कामकाजी या फिर नौकरीपेशा महिलाओं से अलग और अधिक जटिल चुनौतियों के बीच अपने जीवन यथार्थ से जूझती रहती है। स्त्री विमर्श ने घरेलू महिला कामगारों के समुदाय को अभी तक विषय नहीं बनाया है। एक ओर निजी परिवार और समाज की चुनौतियां झेलती हैं
प्रतिरोध के प्रतिमान : घरेलू महिला कामगार
घरेलू महिला कामगार कामकाजी या फिर नौकरीपेशा महिलाओं से अलग और अधिक जटिल चुनौतियों के बीच अपने जीवन यथार्थ से जूझती रहती है। स्त्री विमर्श ने घरेलू महिला कामगारों के समुदाय को अभी तक विषय नहीं बनाया है। एक ओर निजी परिवार और समाज की चुनौतियां झेलती हैं