प्रतिरोध के प्रतिमान : घरेलू महिला कामगार
31 जनवरी 2023
घरेलू महिला कामगार कामकाजी या फिर नौकरीपेशा महिलाओं से अलग और अधिक जटिल चुनौतियों के बीच अपने जीवन यथार्थ से जूझती रहती है। स्त्री विमर्श ने घरेलू महिला कामगारों के समुदाय को अभी तक विषय नहीं बनाया है। एक ओर निजी परिवार और समाज की चुनौतियां झेलती हैं और उसके विरुद्ध प्रतिरोध रचती हैं, तो साथ ही मालिक सदस्यों के परिवार में भी संघर्ष और प्रतिरोध के बीच अपने सपने सजाती रहती हैं। इन परिस्थितियों के मूल में परिवार की मालकिन सदस्य एवं घरेलू महिला कामगार दोनों का काम के प्रति गुलामी या दास वाली सोच सक्रिय रहती है। इससे निजात पाने के लिए परिवार घरेलू महिला कामगारों पर निर्भर है, तो इस निर्भरता का पूरा लाभ भी घरेलू महिला कामगार उठाती हैं। इस दौरान इनके संघर्ष, स्वप्न, इनके श्रम एवं यौन शोषण तथा यदा-कदा सांप्रदायिक संदर्भ वर्तमान समय में जटिल समस्याओं के रूप में उभरते रहते हैं। इन्हें विषय बनाकर विमर्श नए आयाम को खोलेगा, तो साथ ही समग्रता को उपलब्ध भी होगा। यही इस कहानी संग्रह की उपलब्धि रहेगी।
घरेलू महिला कामगार कामकाजी या फिर नौकरीपेशा महिलाओं से अलग और अधिक जटिल चुनौतियों के बीच अपने जीवन यथार्थ से जूझती रहती है। स्त्री विमर्श ने घरेलू महिला कामगारों के समुदाय को अभी तक विषय नहीं बनाया है। एक ओर निजी परिवार और समाज की चुनौतियां झेलती हैं और उसके विरुद्ध प्रतिरोध रचती हैं, तो साथ ही मालिक सदस्यों के परिवार में भी संघर्ष और प्रतिरोध के बीच अपने सपने सजाती रहती हैं। इन परिस्थितियों के मूल में परिवार की मालकिन सदस्य एवं घरेलू महिला कामगार दोनों का काम के प्रति गुलामी या दास वाली सोच सक्रिय रहती है। इससे निजात पाने के लिए परिवार घरेलू महिला कामगारों पर निर्भर है, तो इस निर्भरता का पूरा लाभ भी घरेलू महिला कामगार उठाती हैं। इस दौरान इनके संघर्ष, स्वप्न, इनके श्रम एवं यौन शोषण तथा यदा-कदा सांप्रदायिक संदर्भ वर्तमान समय में जटिल समस्याओं के रूप में उभरते रहते हैं। इन्हें विषय बनाकर विमर्श नए आयाम को खोलेगा, तो साथ ही समग्रता को उपलब्ध भी होगा। यही इस कहानी संग्रह की उपलब्धि रहेगी।
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