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डॉ. शिखा कौशिक की डायरी

डॉ. शिखा कौशिक

3 अध्याय
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do shikha kaushik ki dir

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पुस्तक के भाग

1

जय पताका ले चढ़ा

7 दिसम्बर 2016
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त्याग कर सारी निराशा दृढ़ मनोबल से बढ़ा, तब पराजय के शिखर पर जय पताका ले चढ़ा ! ……………… थी कमी प्रयास में आधे - अधूरे थे सभी, एक लक्ष्य के प्रति आस्था न थी कभी, अपनी ही कमजोरियों से सख्त होकर मैं लड़ा

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स्व -वित्त पोषित संस्थान

18 अप्रैल 2017
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स्व-वित्त पोषित संस्थान में जो विराजते हैं ऊपर के पदों पर, उनको होता है हक निचले पदों पर काम करने वालों को ज़लील करने का, क्योंकि वे बाध्य नहीं है अपने किये को जस्टिफाई करने के लिए . स्व-वित्त पोषित संस्थान में आपको नियुक्त किया जाता है, इस शर्त के साथ कि खाली समय में आप सहयोग करेंगे संस्थान के अन्

3

मैंने गलत को गलत कहा

12 मई 2017
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ना कोई सगा रहा, जिस दिन से होकर बेधड़क मैंने गलत को गलत कहा! तोहमतें लगने लगी, धमकियां मिलने लगी, हां मेरे किरदार पर भी ऊंगलियां उठने लगी, कातिलों के सामने भी सिर नहीं मेरा झुका! मैंने गलत को गलत कहा! चापलूसों से घिरे झाड़ पर वो चढ़ गये, इतना गुरूर था उन्हें कि वो खुदा ही बन गये, झूठी तारीफें न सु

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