20 जुलाई 2016
एक दुपहरी सीखा गई हमें जीना, आप भी पढ़ें और सीखे
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लेखक, कविD
नमस्कार दोस्तों, मुंबई मेरे लिए किसी चाय की ग्लास की भांति है | एक मिश्रित संस्कृति एक मिश्रित जीवनशैली | यह मेरा सौभाग्य ही है कि मेरा जन्म इस नगरी में हुआ जिसे सपनो का शहर कहते है | लेखन का कौशल या लेखन मे रूची तो सदैव से ही थी पर इसे कभी जीवनयापन का साधन भी बनाऊंगा यह सोचा नहीं था | वैसे भी हमने
आजकल अंग्रेजी लिखना, पढना व बोलना सिर्फ जरूरत नहीं एक चलन बन गया है । अंग्रेजी मात्र एक भाषा न रहकर एक लिबास बन गई है, एक ऐसा लिबास जो आपके पढ़े-लिखे और बुद्धिजीवी होने का प्रमाण है पर यह भी एक भ्रम ही है ऐसे अंग्रेजी प्रेमियो का । हालाँकि आज भी हिन्दी पाठको की संख्या में और हिन्दी साहित्य, उपन्यास
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कहने को शहर है पर हालात गाँव से बदतर है | दो दशको से रहता आया हूँ महाराष्ट्र - पालघर जिले के नालासोपारा शहर में (पहले ठाणे जिले में था ) | परंतु आज भी वक़्त=बेवक़्त विद्युत् प्रवाह में बाधा आम सी बात है | नालासोपारा का जिक्र तो अपने कई फ़िल्मों, टीवी कार्यक्रमों में सुना ही होगा पर यहाँ के नागरिकों की
जीवन यात्रा में
धन से प्रेम को माँपने वाले, चरित्र कहाँ से मोल लोगे...करन निम्बार्क, मुंबई