दूसरा अध्याय:- 1996 से 2000 तक का सफर दीदी की सादी
कि पूरी जवाबदारी मामा ने लिथि अब पिताजी के पास बेटी को
दाहेज में देने के लिए भी कुछ नहीं था वो भी हर रिश्ते दारो से
मांग मांग थोड़ा सा दाहेज इकठ्ठा किया और रिसता बहोत बड़े
घर से था और परिवार भी बहोत बड़ा था (thuiyatar )थियेटर
के मालिक के साथ रिश्ता हुआ 1996 की साल में सादी भी
होगई मामा ने सादी का पूरा खर्चा दिया पिताजी ने जो पेसे
जमा किये थे वो सारे पेसे हम पांच लोग आने जाने में ट्रेन में खर्च
हो गया orissa से Gujarat गुजरात से orissa दीदी की सादी
गुजरात में हुई बहोत बड़े घर में दीदी की सादी होगई दीदी की
सादी के बाद पिताजी बहोत खुस हुए सादी के 1 साल 6 महीने बाद
दीदी घर एक बेटी हुई सारे रिश्तेदारों के यहां से बधाई या आने लगी
पिताजी और ज्यादा खुस हो गय बेटी के पैदा होने 6 महीना बाद
मेरे जीजाजी घर पर नहीं थे तब उन लोगों ने मिलकर मेरी दीदी
पर केरोसिन डाल कर मेरी दीदी को जला कर मार डाला हम दूर में
थे दीदी की सादी के बाद हम पंचों एक बार भी दीदी को नहीं देखा था
और दीदी के मरने के बाद भी नहीं देख पाए और हमारे सारे रिश्तेदार
गुजरात में रहते थे फिर पूरे परिवार ने डिसाइड किया की हम गुजरात चले जाएंगे फिर 1998 में में और मेरे बड़े भाई गुजरात गए 1 साल काम किया बादमें 1 साल के बाद थोड़े पेसे का इंतजाम हुआ तो
हमने पेसे पिताजी को भेज दिया पिताजी ने थोड़े पैसो का इंतजाम कर रखा था पिताजी खुश हुए कि मेरे दोनों बेटों पेसे कमा के मुझे
भेज दिया मेने 1998 में 8 वीं कक्षा पड़कर छोड़ दी मेरे दूसरे भाई ने भी पढ़ाई छोड़ दी ग़रीबी की वाजे से पढ़ाई नहीं की गुजरात जाकर
वहा सेट हो गए और वहां जाकर 3तीनों भाई काम पर लगे काम भी
मजदूरों का पिताजी की उम्र 55 साल की हो चुकी थी बड़े भाई ने पिताजी को काम करने से मना किया पिताजी से कहा आप घर पर
रहो घर पूरी जवाबदारी मेरी है फिर घर की पूरी जवाबदारी बड़े भाई के सिर पर आगई
1998 साल में जब हम दोनो भाई गुजरात आय तब 1 साल जो
मेहनत की है 12 घंटे की ड्यूटी रहती थी सुबह 8 बजे लेकर रात 8 बजे तक में रोज सुबह 4:30 बजे उठता था पुरानी साइकिल एक
दिलाई थी बड़े भाई ने जो काम करन जाता था 7 किलोमीटर दूरी पर
था बड़े भाई 5 दिन में एक बार घर आते थे
फिर 2000 साल तक सब ठीक हो गया 2000 की साल में जनवरी में 26 तारीख को पूरे गुजरात में भूकंप आया हम घर पर पूरे महीने
राशन एक साथ में लाते थे पूरा घर टोटके गिर गया पूरा राशन का सामान गिर गया मट्टी मिल गया अब तीसरे अध्याय में आगे