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लव फ्यूनरल

31 जनवरी 2018

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सारी ज़िंदगी एक लम्हे में सिमट गयी हो जैसे सांसो की लड़ी टूट कर फिर जुड़ गयी हो जैसे उनका आना मेरी ज़िंदगी में कुछ यूँ हुआ यारो रेत मे प्यासे को कोई बूँद मिल गयी हो जैसे उनके हुस्न का जादू ही कुछ ऐसा था अमावस में चांदनी बिखर गयी हो जैसे उनका वो साथ बस चंद लम्हों का था मगर उन लम्हो में ज़िंदगी गुज़र गयी हो जैसे
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रचनाएँ
lovepoetry
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Hello readers, I have started to write about true love which we can't find out easily in our life
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लव फ्यूनरल

31 जनवरी 2018
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सारी ज़िंदगी एक लम्हे में सिमट गयी हो जैसे सांसो की लड़ी टूट कर फिर जुड़ गयी हो जैसे उनका आना मेरी ज़िंदगी में कुछ यूँ हुआ यारो रेत मे प्यासे को कोई बूँद मिल गयी हो जैसे उनके हुस्न का जादू ही कुछ ऐसा था अमावस में चांदनी बिखर गयी हो जै

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31 जनवरी 2018
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दास्ताँ सुनाते सुनाते खुद दास्ताँ बन गए मुमताज़ तो न मिली पर हम शाहज़हां बन गए किसी पत्थर की मूरत को कुछ यूँ सज़दे किये जैसे कि वो मेरे खुदा बन गए लफ्ज़ो की ज़रुरत ही न हुई इज़हार ए इश्क़ को नैन कुछ यूँ मिले कि ज़ुबा बन गए

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दिल की लगी

1 फरवरी 2018
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होंठो पे मुस्कुराहट मगर आँखों में नमी है ज़िंदगी में मेरी आज भी तेरी कमी है बहुत चाहा हमने तुझको भूलकर आगे बढ़ना मगर वक़्त की सुई तुझ पर जा थमी है दिल की सुनत

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