होंठो पे मुस्कुराहट मगर आँखों में नमी है ज़िंदगी में मेरी आज भी तेरी कमी है बहुत चाहा हमने तुझको भूलकर आगे बढ़ना मगर वक़्त की सुई तुझ पर जा थमी है दिल की सुनते तो रोज जीते और मरते दोस्ती से तेरी दुश्मनी ही भली है सुना है वक़्त के मरहम से हर ज़ख्म भर जाता है पर ये ज़ख्म नहीं ये तो दिल की लगी है