आज पूरा देश गणेश चतुर्थी के पर्व को बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मना रहा हैl देश के हर कोने में अलग अलग तरह से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही हैl सबसे ज्यादा इस त्यौहार को महाराष्ट्र में मनाया जाता है l जहाँ मुंबई का कुछ अलग ही नज़ारा है वहीं पंजाब में गणेश पर्व पर इतनी चहल पहल देखने को नहीं मिलती हैl इन्ही सब चीजों को देख कर आज पुरानी यादें ताजा हो आई जब हम छोटे हुआ करते थेl तब उम्र करीब 10 साल की रही होगी यह बात करीब 1984 की होगी l जब मेरे पिता जी का तबादला कांकरोली से कोटा में हुआ थाl पंजाबी परिवार से होने के कारण इस तरह के त्यौहार से अंजान था और साथ ही छोटा भी था l कोटा में गणेश उत्सव कुछ अलग ही तरीके से मनाया जाता हैl जब भी गणेश चतुर्थी आने वाली होता तो बच्चे लोग इस त्यौहार का बड़े ही बेसब्री से इंतजार करते रहते थे l सवेरे से ही घर के द्वार पर बच्चों का तांता लग जाता था l
एक ग्रुप मैं करीब 6 से 10 बच्चे हुआ करते थे l सब बच्चों के हाथ में दो छोटी छोटी डंडियाँ हुआ करती थी l और बच्चे बड़े ही उत्सुकता से तेज आवाज में गाने लगते थेl
उनकी कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार है l
चनचड़ी भई चनचड़ी
हाथी घोड़ा ले पड़ी
एक घोड़ा आरपार
उस पर बैठा मुन्ना लाल
मुन्ना लाल की काली टोपी
मारूंगा भई मारूंगा
दिल्ली जार पुकारूँगा
दिल्ली मेरा भाई है
कोटा की सगाई है
बूंदी की लुगाई है
एक दो तीन l
सब बच्चों को 1- 1 रूपये और लड्डू व प्रसाद देकर विदा करते थे l वह भी क्या दिन हुआ करते थेl