नमस्कार पाठक मित्रो इस ब्लॉग को बनाने का उद्देश्य काफी सारे है लेकिन ब्लॉग का निर्माण अनायास सीखने की जिज्ञासा के कारण हुआ ! ब्लॉग को शायद शायद अक्टूबर,नवम्बर या दिसम्बर २०१५ को बनाया था जिसमे मै मेरे द्वारा फेसबुक पे शेयर हुए लेख को सुरक्षित और संग्रहित करने की दृष्टि से यहाँ पर पोस्ट कर देता था ! लेकिन अशांत मन ने इसपर ध्यान केन्द्रित किया तो काफी कुछ ब्लॉग में पसंद आने लगा ! जैसे ये कि इसपर आपके द्वारा साझा किये गये लेख को कितने सारे लोगो ने पढ़ा, इस बात की सुविधा फेसबुक और अन्य सोशल साधन में संभव न थी और इसीलिए भी ये काफी पसंद आई मुझे ! और कई फायदे है जिसे मै तकनीक ज्ञान वाले ब्लॉग में साझा करूँगा पर अभी इस ब्लॉग की विशेषता और अपने बारे में थोड़ा बता दूँ ! मै सारांश सागर फेसबुक और अन्य सोशल माध्यम में लेख,कविता,वीडियो,ऑडियो,और जो भी अपने पास समझ और ज्ञान है उसके माध्यम से स्वदेशी का प्रचार,धर्म की स्थापना और सामाजिक समस्याओ के निपटारो हेतु प्रयासरत हूँ ! और ज्यादा अपने बारे में नही बताना चाहता क्योंकि अपने बारे में बताने से मै अहंकारी,खुद की प्रशंसा करने वाला नही दिखना चाहता बल्कि अपने कर्म का उदाहरण पेश करने में विश्वास रखता हूँ ! अब ज्ञानसागर ब्लॉग के बारे में बताता हूँ ! ज्ञानसागर सबसे पहले मेरे द्वारा व्हाट्स एप्प में शुरू हुए एक ग्रुप से था पर उसमे सीमित सदस्यों के कारण मैंने उसे फेसबुक में बनाया और जो मेरे जैसे विचार वाले लोग थे उनसे मित्रता करके उसे एक परिवार का रूप दे दिया और उनके शिक्षा और ज्ञान के कारण आज ब्लॉग बना पाने में सफल हुआ हूँ ! ब्लॉग में जो लेख है वो अधिकांश फेसबुक,व्हाट्स एप्प य मित्रो,पाठको द्वारा साझा किये गये है ! और समय के साथ साथ इसपर आने वाले पाठको की संख्या दिनों दिन बढती जा रही है जो ईश्वर की कृपा और शुभ-चिंतको के प्रयास से संभव हुआ है ! धर्म की स्थापना करने हेतु मै सभी धर्म-प्रेमियों का आह्वान करता हूँ कि वो ज्ञानसागर को एक ऐसा मंच बनाने में अपनी भूमिका दे जो सभी प्राणियों में भक्ति की ज्योत जलाने में सफल हो ! ज्ञानसागर ब्लॉग बनाने और उसके लेख शेयर करने में काफी लोगो का योगदान है और कुछ नित्य पाठक मित्र,और फेसबुक ग्रुप के एडमिन भी शामिल है पर एक का नाम लेने से बाकियों के साथ भेदभाव होगा इसीलिये सभी को उनके निस्वार्थ प्रेम और भक्ति को नमन और ऐसे ही अपने आशीष से ज्ञानसागर को विशाल रूप देने में मदद करते रहे ! जयश्रीराम