सद्ज्ञान हमें दो माँ , विज्ञान हमें दो माँ ।
हो दूर अँधेरा जिससे ,दिनमान हमें दो माँ ॥
हम करें साधना मिलकर , संगठन शक्ति अपनाएँ ,
हम ज्ञान मशालें लेकर , घर-घर में दीप जलाएँ ,
जग की जड़ता हरने ,गुरु ज्ञान हमें दो माँ ।
हो दूर अँधेरा जिससे ,दिनमान हमें दो माँ ॥
हम साधन शक्ति लगाकर ,संगठन बनाएँगे ,
श्रम,सेवा से भरकर ,देवत्व जगाएँगे ,
हर मनुज सुमन-सा विहले,मुस्कान हमें दो माँ ।
हो दूर अँधेरा जिससे,दिनमान हमें दो माँ ॥
साभार - विष्णु कुमार शर्मा 'कुमार '
(युग निर्माण योजना - नवम्बर २०१५)