5 मई 2015
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भारतीय रेल में नौकरी करते हुए साहित्य की सेवा, सवेरा फाउंडेशन का संस्थापक महामंत्री,हास्य-व्यंग्य,गीत,हिंदी ग़ज़ल,और छंदों का लेखन, मंचों से हास्य-व्यंग्य और छंदों का काव्यपाठ, स्वच्छ और शुद्ध व्यंग्य की पुस्तक "मैं भ्रष्टाचार हूँ, जनवरी २०१५ में प्रकाशित D
विजय शर्मा जी भोगे हुए सत्य को शब्द दिया है मैंने बस!
5 मई 2015
मजदूर के चरित्र का आपने बहुत बढ़िया चिंतन किया है
5 मई 2015