-----रेलगाड़ियां (व्यंग्य )--------
'राजधानी,भाग रही है
तेज गति से
पीछे छूट रहा है
खेत, बाग, गांव, शहर
'जनता,रोक दी गयी है
आउटर पर
राजधानी तो राजधानी है
उसके हर एक्शन को
हमें सहना है
बेचारी 'जनता,
कल भी आउटर थी
आज भी आउटर पर है
और उसे कल भी
आउटर पर रहना है ।
क्योंकि -
बिखर गयी है 'श्रमशक्ति,
'शताब्दी, के लिए हर रास्ता खुला है
'जनसाध