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हरियाली

25 जुलाई 2017

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ऐ हरियाली तुझे क्या हुआ क्यों तू उदास है ?

क्या तेरा सौभाग्य तेरे पास है ?

कभी तू हंसती थी कभी तू मुस्कराती थी

कभी तू हवा के झरोखों से हिल डुल के इतराती थी

क्या मै कहूं तू मुरझाई है ? की मै कहूँ तू धिक्काई है ,

देख न तू मुरझाना नहीं , नहीं तो सारा जगत मुरझा जायेगा ,

देख न तू झुक जाना नहीं , नहीं तो प्रकृति का मन व्यथित हो जायेगा ,

क्या सूरज ने तुझे सताया है ? की पानी ने तुझे रुलाया है ,

मस्त मगन होके तू जब भी , बागों में लहलहाती थी देख के तेरा चंचल यौवन बरखा भी शर्माती थी,

सावन झूम जाता था ,मनमोहक हवाएं आती थी पक्षी गीत सुनाते थे ,

कोयल कूक उठाती थी ,

ऐ हरियाली क्यों तू उदास है ?

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अच्छी रचना है ---------

27 जुलाई 2017

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