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हिंदी संज्ञाओं से छेड़_छाड़

21 अगस्त 2022

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            भारत कहने को तो आजाद हो गया है, पर अभी तक हम गुलामी से मुक्त नहीं हो पाए। यहां हमारे ग्रंथों की , ऐतिहासिक नामों की जो संज्ञा है उसके साथ बहुत छेड़ _छाड़ की जा रही है। जबकि संज्ञा जो है वह वैसी की वैसी ही रहती है चाहे जिस भाषा में हो। पर यहां पुलिंग शब्दों को स्त्रीलिंग बना दिया जा रहा है। यह सर्वथा अनुचित है । जैसे राम को रामा, कृष्ण को कृष्णा, वेद को वेदा , योग को योगा हद तो तब हो गई जब में जन्माष्टमी पर भाषण सुन रही थी और महाभारत को महाभारता रावण को रावना कहा। क्या हम कभी बाइबिल को बाइबिला या कुरान को कुराना कहते हैं? मैने आज तक नही सुना। तो फिर भारतीय संस्कृति की संज्ञाओं से ही छेड़ _छाड़ क्यों? हम सभी को इस विषय पर आवाज उठानी चाहिए। हर मंच पर इसका जिक्र करना चाहिए।

               हमे अपनी संज्ञाओं पर स्वतः ही संज्ञान लेकर इसका सख्त विरोध करना चाहिए। भारतीय संस्कृति पर कुठारा घात हो रहा है इसे हर मंच पर बताना चाहिए। तभी हम सही आजादी पा सकेंगे। अन्यथा विदेशियों का अंधानुकरण करके हम भी गलत संज्ञाओ का प्रयोग करते रहेंगे।

                                              डा. शक्तिबाला

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