भारत परिवार प्रधान देश है । सभी जाति, घर्म, संप्रदाय - परिवार सिस्टम को मान्यता देते है । शिक्षा, स्वास्थ्य, संपति, बचत, वाहन, चल - अचल संपदा परिवार की धरोहर होती है ।
सरकार को व्यक्ति की बजाय परिवार की गणना करनी चाहिए । संपदा- चल अचल संपति, बीमा, पेंशन, बचत आदि पर किसी व्यक्ति का नहीं परिवार का अधिकार होना चाहिए ।
सरकार की हर गणना का आधार परिवार ही होना चाहिए । सरकार को अ परिवारिक व्यक्ति पर ज्यादा कर लगाना चाहिए । पारिवार गठन की उम्र तय करनी चाहिए । संपदा का लेखाजोखा भी परिवार गठन के साथ तय होना चाहिए ।
पारिवारिक स्थिति ही व्यक्ति का आर्थिक सामाजिक शैक्षिक स्तर का निर्धारण करती है ।
परिवार के गठन ( विवाह ), संचालन ( वैवाहिक सुरक्षा ), संपदा का वितरण और सरकारी सुविधाओं व सेवाओं के लिए परिवार से जुड़ी हर बात - विवाह, तलाक, संतान आदि पर सरकार की तीखी निगाह रहनी चाहिए ।