Monika Garg
मैं मोनिका गर्ग, फरीदाबाद, हरियाणा मेरा निवास स्थान है। लिखने का शौक बचपन से ही था। बहुत छोटी उम्र से ही लेखनी के सिपाही बनने की कोशिश की। हम उम्र बच्चे जहां गुड्डा गुडिया का खेल खेलते थे, मिट्टी के घरोंदें बनाते थे हम कलम के माध्यम से कागज पर उन घरोंदों के सुख दुःख उकेरते थे।महज बारह साल की उम्र में अपनी पहली कहानी "भिखमंगे" लिखी। फिर माँ सरस्वती के चरणों की उपासना करते करते कलम के सिपाही बनती चली गयी। आज हमारी बहुत सी कहानियाँ बहुत से मंचों पर सराही जाती हैं। एक मंच के लिए सहलेखन भी किया। Shabd.in, लेखिनी, प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर, रश्मिरथी, शीरोज जैसे बहुत से मंच है जहाँ हमारा लेखन सतत् जारी है। हम ज्यादातर शार्ट स्टोरीज ही लिखते है।बाकि अभी तक चार उपन्यास भी लिखे चुके हैं। हमारी Shabd.in मंच के माध्यम से तीन किताबें पेपरबैक में प्रकाशित हो चुकी है। "मन की बातें", "रोचक व शिक्षाप्रद कहानियां" और "आखिर खता क्या थी मेरी" बहुत सी किताबें ई-बुक के रूप में भी Shabd.in पर उपलब्ध है। अब और क्या कहें बस इतना ही अपने विषय में कहेंगे। हमसे रचना तब होती है जब "भावनात्मक विचारों का ऐसा तूफान आता है कि जब तक उसे कागज पर ना उतार दें आत्मा को चैन नहीं मिलता।"
हम और हमारे ख्यालात
इस किताब मे दैनिक लेखन प्रतियोगिता में जो विषय दिये जाएंगे उन पर कुछ लिखने की मेरी एक कोशिश।
हम और हमारे ख्यालात
इस किताब मे दैनिक लेखन प्रतियोगिता में जो विषय दिये जाएंगे उन पर कुछ लिखने की मेरी एक कोशिश।
मै औरत हूं... इसलिए
औरत जननी है, पत्नी है, मां है ,बेटी है पर क्या उसे वो अधिकार मिलते है जो उसे मिलने चाहिए। क्या वो रिश्तों नातों को निभाते निभाते हुए अपना वजूद खो देगी ।आईये इन कहानियों के माध्यम से जाने।
मै औरत हूं... इसलिए
औरत जननी है, पत्नी है, मां है ,बेटी है पर क्या उसे वो अधिकार मिलते है जो उसे मिलने चाहिए। क्या वो रिश्तों नातों को निभाते निभाते हुए अपना वजूद खो देगी ।आईये इन कहानियों के माध्यम से जाने।
क्या यही प्यार है?
क्या आज की युवा पीढ़ी प्यार का मतलब जानती है ....नहीं।बस आज कल के युवा लैला मजनूं,शीरी फरहाद,इन की कहानी पढ़कर उन राहों पर निकल पड़ते हैं। प्यार पाना ही नहीं होता। प्यार के लिए मर मिटना भी प्यार है। सदियों तक किसी का इंतजार भी प्यार है। आइए हम और आप
क्या यही प्यार है?
क्या आज की युवा पीढ़ी प्यार का मतलब जानती है ....नहीं।बस आज कल के युवा लैला मजनूं,शीरी फरहाद,इन की कहानी पढ़कर उन राहों पर निकल पड़ते हैं। प्यार पाना ही नहीं होता। प्यार के लिए मर मिटना भी प्यार है। सदियों तक किसी का इंतजार भी प्यार है। आइए हम और आप
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
क्या यही प्यार है?--2
जोगिंदर,रमनी और चंचला के प्यार को जानने के लिए आपको "क्या यही प्यार है" का सीजन :-1 पढ़ना होगा।अब हम आप को प्यार के एक अलग स्वरुप से अवगत कराएंगे।आईए आप और हम साथ साथ महसूस करें सिया और जिया के प्यार को।कितनी शिद्दत से उन्होंने प्यार किया अपने अपने म
क्या यही प्यार है?--2
जोगिंदर,रमनी और चंचला के प्यार को जानने के लिए आपको "क्या यही प्यार है" का सीजन :-1 पढ़ना होगा।अब हम आप को प्यार के एक अलग स्वरुप से अवगत कराएंगे।आईए आप और हम साथ साथ महसूस करें सिया और जिया के प्यार को।कितनी शिद्दत से उन्होंने प्यार किया अपने अपने म
आखिर खता क्या थी मेरी ?
एक ऐसी लड़की की कहानी जो मर के भी मर ना सकी और अपने प्यार के लिए सब कुछ कुर्बान कर गयी । आईए आप भी पढ़ें कनक की कहानी कनक की जुबानी
आखिर खता क्या थी मेरी ?
एक ऐसी लड़की की कहानी जो मर के भी मर ना सकी और अपने प्यार के लिए सब कुछ कुर्बान कर गयी । आईए आप भी पढ़ें कनक की कहानी कनक की जुबानी
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई
दैनंदिनी सखी (अगस्त)
सखी की सखी से बात ,इन त्योहारों का साथ ,मन के जज्बात क्या बात, क्या बात , क्या बात । अब के माह कुछ विशेष है सखी बताएं गे समय पर।
दैनंदिनी सखी (अगस्त)
सखी की सखी से बात ,इन त्योहारों का साथ ,मन के जज्बात क्या बात, क्या बात , क्या बात । अब के माह कुछ विशेष है सखी बताएं गे समय पर।