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मैं मोनिका गर्ग, फरीदाबाद, हरियाणा मेरा निवास स्थान है। लिखने का शौक बचपन से ही था। बहुत छोटी उम्र से ही लेखनी के सिपाही बनने की कोशिश की। हम उम्र बच्चे जहां गुड्डा गुडिया का खेल खेलते थे, मिट्टी के घरोंदें बनाते थे हम कलम के माध्यम से कागज पर उन घरोंदों के सुख दुःख उकेरते थे।महज बारह साल की उम्र में अपनी पहली कहानी "भिखमंगे" लिखी। फिर माँ सरस्वती के चरणों की उपासना करते करते कलम के सिपाही बनती चली गयी। आज हमारी बहुत सी कहानियाँ बहुत से मंचों पर सराही जाती हैं। एक मंच के लिए सहलेखन भी किया। Shabd.in, लेखिनी, प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर, रश्मिरथी, शीरोज जैसे बहुत से मंच है जहाँ हमारा लेखन सतत् जारी है। हम ज्यादातर शार्ट स्टोरीज ही लिखते है।बाकि अभी तक चार उपन्यास भी लिखे चुके हैं। हमारी Shabd.in मंच के माध्यम से तीन किताबें पेपरबैक में प्रकाशित हो चुकी है। "मन की बातें", "रोचक व शिक्षाप्रद कहानियां" और "आखिर खता क्या थी मेरी" बहुत सी किताबें ई-बुक के रूप में भी Shabd.in पर उपलब्ध है। अब और क्या कहें बस इतना ही अपने विषय में कहेंगे। हमसे रचना तब होती है जब "भावनात्मक विचारों का ऐसा तूफान आता है कि जब तक उसे कागज पर ना उतार दें आत्मा को चैन नहीं मिलता।"

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-02-21
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-01-27
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-01-16
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-01-07
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-08-24
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-08-01
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-07-21
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-04-26
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-01-11
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2021-12-08
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2021-11-16

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हम और हमारे ख्यालात

हम और हमारे ख्यालात

इस किताब मे दैनिक लेखन प्रतियोगिता में जो विषय दिये जाएंगे उन पर कुछ लिखने की मेरी एक कोशिश।

815 common.readCount
10 common.articles
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ईबुक:

₹ 66/-

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मै औरत हूं... इसलिए

मै औरत हूं... इसलिए

औरत जननी है, पत्नी है, मां है ,बेटी है पर क्या उसे वो अधिकार मिलते है जो उसे मिलने चाहिए। क्या वो रिश्तों नातों को निभाते निभाते हुए अपना वजूद खो देगी ।आईये इन कहानियों के माध्यम से जाने।

723 common.readCount
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मै औरत हूं... इसलिए

औरत जननी है, पत्नी है, मां है ,बेटी है पर क्या उसे वो अधिकार मिलते है जो उसे मिलने चाहिए। क्या वो रिश्तों नातों को निभाते निभाते हुए अपना वजूद खो देगी ।आईये इन कहानियों के माध्यम से जाने।

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लड़के रोया नही करते

लड़के रोया नही करते

इस किताब मे शायद आप को हम और आप मे से कोई मिल जाए।

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क्या यही प्यार है?

क्या यही प्यार है?

क्या आज की युवा पीढ़ी प्यार का मतलब जानती है ....नहीं।बस आज कल के युवा लैला मजनूं,शीरी फरहाद,इन की कहानी पढ़कर उन राहों पर निकल पड़ते हैं। प्यार पाना ही नहीं होता। प्यार के लिए मर मिटना भी प्यार है। सदियों तक किसी का इंतजार भी प्यार है। आइए हम और आप

निःशुल्क

क्या यही प्यार है?

क्या यही प्यार है?

क्या आज की युवा पीढ़ी प्यार का मतलब जानती है ....नहीं।बस आज कल के युवा लैला मजनूं,शीरी फरहाद,इन की कहानी पढ़कर उन राहों पर निकल पड़ते हैं। प्यार पाना ही नहीं होता। प्यार के लिए मर मिटना भी प्यार है। सदियों तक किसी का इंतजार भी प्यार है। आइए हम और आप

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दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022

दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022

सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।

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दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022

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क्या यही प्यार है?--2

क्या यही प्यार है?--2

जोगिंदर,रमनी और चंचला के प्यार को जानने के लिए आपको "क्या यही प्यार है" का सीजन :-1 पढ़ना होगा।अब हम आप को प्यार के एक अलग स्वरुप से अवगत कराएंगे।आईए आप और हम साथ साथ महसूस करें सिया और जिया के प्यार को।कितनी शिद्दत से उन्होंने प्यार किया अपने अपने म

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जोगिंदर,रमनी और चंचला के प्यार को जानने के लिए आपको "क्या यही प्यार है" का सीजन :-1 पढ़ना होगा।अब हम आप को प्यार के एक अलग स्वरुप से अवगत कराएंगे।आईए आप और हम साथ साथ महसूस करें सिया और जिया के प्यार को।कितनी शिद्दत से उन्होंने प्यार किया अपने अपने म

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आखिर खता क्या थी मेरी ?

आखिर खता क्या थी मेरी ?

एक ऐसी लड़की की कहानी जो मर के भी मर ना सकी और अपने प्यार के लिए सब कुछ कुर्बान कर गयी । आईए आप भी पढ़ें कनक की कहानी कनक की जुबानी

194 common.readCount
12 common.articles
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ईबुक:

₹ 40/-

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133/-

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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई

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बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई

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दैनंदिनी सखी (अगस्त)

दैनंदिनी सखी (अगस्त)

सखी की सखी से बात ,इन त्योहारों का साथ ,मन के जज्बात क्या बात, क्या बात , क्या बात । अब के माह कुछ विशेष है सखी बताएं गे समय पर।

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मन की बातें (कहानी संग्रह)

मन की बातें (कहानी संग्रह)

मन से लिखी ,मनो मे घर करने वाली कहानियां।

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160/-

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म्हारी छोरियां के छोरा से कम है

28 सितम्बर 2023
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गीता के फोन की घँटी लगातार बज रही थी। उसने आंख औ तो देखा रात के दो बजे रहे है। फोन पर उसके मायके की नौकरानी शारदा काकी का नंबर फ़्लैश हो रहा था फोन उठाया देखा तो सत्रह मिस कॉल।उसने घबराहट में तुरंत फोन

आख़िर तुम चुप क्यों हो

28 सितम्बर 2023
1
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आखिर तुम चुप क्यों हो?सुगंध के घर में बरसों से बंद पड़े, पीछे के कमरे में (जो घर के बेकार हो चुके सामान से भरा पड़ा था कि ना जाने कब किस सामान की ज़रूरत पढ़ जाये?) बस वहीं छोटी–छोटी अधूरी श्वास लेती हवा म

मैं जीत कर भी हार गयी

25 सितम्बर 2023
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बुआ शब्द सुन,लता की आंँखें फटी की फटी रह गईं।प्रश्न भरी निगाहों से सुनील की तरफ देखा।वो नजरें चुरा रहा था।सुनील से बोली, "क्या जवाब दूंँ !बताइए ना।"दूर से, तरसती आंँखों से माँ भी बेटे के जवाब का इंतजा

मेरा वजूद

25 सितम्बर 2023
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निशा मेरा टावल कहां है ।ओहो कितनी बार कहा है तुमसे मेरी सारी चीजें निकाल कर सही समय पर मुझे दे दिया करो पर तुम हो के सुनती ही नही।" पचपन साल के सुरेंद्र जी अपनी बावन साल की पत्नी निशा पर बरसने लगे जब

चलों ना अपने घर

25 सितम्बर 2023
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हाय राम ! ये बहू है या आलस की पुड़िया। कोई काम भी पूरा नही करती ।ये देखो कोने मे कचरा पड़ा रह गया और ये महारानी कह रही है कि इसने झाड़ू लगा दी।देखो सूखे कपड़े भी ज्यों के त्यों पड़े है यूं नही कि सब क

आ अब लौट चलें

25 सितम्बर 2023
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मां ... मां तुम रो कयो रही हो ,बताओ ना मां.."शिल्पी एकदम से हड़बड़ा कर उठी। कर्ण ने उसको झिंझोड़कर उठाया,"क्या हुआ है शिल्पी तुम नींद मे बडबडाते हुए क्यों रो रही हो?"शिल्पी ने जब अपने आप को सम्ह

निर्भया ही नहीं हूं मैं....बस

25 सितम्बर 2023
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आज हर जगह निर्भया ही निर्भया का जिक्र हो रहा है।क्या आप ने कभी सोचा।केवल शारीरिक शोषण ही शोषण नही होता ।मानसिक शोषण भी एक प्रकार का बलत्कार ही है बस कोई घटना प्रकाश मे आ जाती है तो चारों तरफ त्राहि त्

जाने कौन से देस

25 सितम्बर 2023
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आज निशा का मन बडा उदास था।मन किसी भी काम में नही लग रहा धा।पति और बच्चों को स्कूल और ऑफिस भेज कर वह बरतनों को समेटने लगी।पर मन तो कहीं टिक ही नहीं रहा था।सब कुछ छोड़ कर न

मेरे अपने

20 सितम्बर 2023
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" तू मुझे किस आस से मुंह दिखाने चला आया बेशर्म। तूने क्या सोचा था तू अपनी पसंद की ऐरी गेरी किसी भी लड़की से शादी कर लेगा और मैं तुझे माफ कर दूंगी।जा निकल जा घर से और तुम दोनों का चेहरा मैं आज से कभी न

मां कौन कहेगा?

13 सितम्बर 2023
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पूरे घर में हवन का धुआं फैला हुआ था, अग्नि में जलती हुई हवन सामग्री की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। सामने दो तस्वीरों पर हार चढ़ा हुआ था। रतन के लिए यह तस्वीरें प्रश्न की कड़ियों से जुड़ गई थी। एक

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