रामायण में भोग नही, त्याग है।
Ramayan me bhog nahi hai, tyag hai/रामायण में भोग नहीं, त्याग है।प्रिय स्नेही मित्रोंजय श्रीकृष्णा *रामायण में भोग नहीं, त्याग है* *भरत जी नंदिग्राम में रहते हैं, शत्रुघ्न जी उनके आदेश से राज्य संचालन करते हैं।* *एक रात की बात हैं,माता कौशिल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर