प्रिय स्नेही मित्रों जय श्रीकृष्णा
*14/07/2019 की सुबह06 बजे मैं घर के बाहर गाय का दूध निकाल रहा था। ऊपर से विजली का तार टूटकर मेरे सिर पर गिर गया। सिर से जब मेरी पीठ पर गिरा तो मैं आआआआआ करते हुए पीछे की तरफ गिर गया , जबकि दिमाग काम कर रहा है कि कोई हमे हाथ से न छूए अन्यथा उसे भी खतरा हो सकता है।*
*मेरी पत्नी चिल्लाने लगी जबकि मेरा छोटा वाला बच्चा यूटूब बनाने जा रहा था वह सोचने लगा कि मम्मी ऐसे जोर से बोलती ही है। बताया कि फिर सोचा नही चलकर देख लूँ।*
*बच्चचा बाहर आकर हमे पकडकर खींच रहा है तो उसे भी विजली झटका दे रही है, मेरी पत्नी खीचती है तो उसे झटका दे रही है। तीन बार झटका खाने के बाद बच्चा बताया कि पापा मै सोचा कि पिताजी ही नही बचेगे तो मेरा भी जीना बेकार है। चौथी बार यह सोचकर खींचा कि बचूगा तो पापा को बचाकर अन्यथा मैं भी नहीं बचूँगा।*
* यह सोचकर पकडकर खींचता रहा और विजली झटकती रही। अन्त में मेरा बच्चा मेरा जीवन बचा ही लिया। इस तर बच्चा हमे नयाजीवन देेेते हुुुए बचा लिया , और हमे जीवनदान मिला।*
*जबकि पडोस का एक बच्चा खेत मे मेड बाँध रहा था। आवाज सुनकर दौडता हुआ आया और विजली का तार उसके पैर के घुटने से छू गया, उसे देखा तो मै ह ह ह ह ह करते हुुुए रोकने लगा लेकिन शायद मेरी आवाज निकल नही रही थी जिससे कोई उस तरफ ध्यान नही दे सका जबकि वह बच्चा हाथ से तार हटाने लगा तो उसकी मुट्ठी बँध गयी। बहुत प्रयास के बाद भी तार उसके हाथ से छूटा नही और उसी तार के छू जाने से मृत हो गया। मेरे सिर और पैर मे जगह जगह घाव हो गया है दाहिना हाथ उठ नही रहा है लेकिन मृत बच्चे के दुख के आगे मेरा कष्ट फीका पड गया।*
*ईश्वर की कृपादृष्टि और मेरे बडे बुजुर्गो, माता पिता तथा समाज के आशीर्वाद का परिणाम है आज मैं धरती पर जिन्दा हूँ। लेकिन कष्ट अपार है कि एक बच्चा मृत्यु को प्राप्त हो गया।*