हमारे राष्ट्रीय पर्व
हमारे देश में विश्व के हर देश की तरह राष्ट्रीय पर्वों का विशेष
महत्व है. अपने भारत देश में तीन दिन राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है.
विशिष्टतः--
1. 26 जनवरी - गणतंत्र
दिवस – जिस दिन (सन 1950) अपने देश में संविधान लागू हुआ.
2.
15 अगस्त - जिस दिन (1947) अपना देश आजाद हुआ.
3. 2 अक्तूबर –
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म दिन (1869) - जिनके अहिंसा आँदोलन ने अंग्रेजों
से भारत छुड़वाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
इसके अलावा हमारे देश में राजपत्रित अवकाश भी हैं, जिन्हें सार्वजनिक
त्योहारों के रूप में मनाया जाता है.
अक्सर इन राष्ट्रीय त्योहारों के दिन पूरे राष्ट्र में उत्सव मनाया
जाता है. खासकर पहले दो अवसरों पर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री लाल किले के प्राँगण
से देश को संबोधित करते हैं. जिसका प्रसारण विभिन्न माध्यमों में किया जाता है.
पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल होता है. विशेषकर 26 जनवरी को इंडियागेट पर
झाँकियाँ भी निकाली जाती हैं जो विभिन्न राज्यों, विभागों का प्रतिनिधित्व करती
हैं. अंत में सर्वोत्तम झाँकी चुनी जाती है और उसे ईनाम भी दिया जाता है.
ऐसे शुभ अवसर पर देश के करीब - करीब सारे संस्थान जहाँ अत्यावश्यक
कार्रवाई न हो रही हो – छुट्टी मनाते हैं. सारा दिन राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत
जनता एक दूसरे का अभिवादन करते , मेल मिलाप करती है.
किंतु ऐसे समय में भी हमारे देश में स्थापित विदेशी कंपनियों की
इकाईयाँ, अपने देश के उन कंपनियों की इकाईयाँ, जो विदेशी कंपनियों की सेवा में रत
हैं या कहिए उनकी सेवा के लिए ही बनी है – अपना रोजमर्रा का कार्यक्रम नियमित रूप
से करती रहती हैं. इनके कर्मचारियों को जो अक्सर भारतीय हैं, इन दिनों भी और दिनों की
तरह ही काम करना पड़ता है. जबकि यह कोई अत्यावश्यक काम की श्रेणी में नहीं आता.
यह बात सही है कि इन कर्मचारियों को , जिस देश की (कंपनी की) सेवा में लगे है, उस देश के हिसाब से छुट्टियाँ मिलती हैं. उनके त्योहारों पर छुट्टियाँ होती हैं. वहाँ तक तो ठीक समझा जा सकता है क्योंकि काम उनका ही होना है.
किंतु यह क्या इसकी हद पार नहीं हो जाती, जब वे हमारे राष्ट्रीय पर्वों का भी आदर नहीं करते ?
कम से कम मुझे तो यह रास नहीं आया , एक बूँद भी नहीं भाया. मुझे यह
हमारा व हमारे राष्ट्र का उस देश की ओर से अपमान सा लग रहा है. कम से कम वे हमारे
राष्ट्रीय पर्वों का तो आदर करते हुए, हमारा मनोबल बढ़ाएं, हमारा, हम भारतीयों का
आदर करें.
मुझे उन संस्य़ाओं की बहुत याद आ रही है जो हाल ही में, आए दिन लोगों
को देशद्रोही कहा करते थे, कहते कहते थकते नहीं थे. उनको यह क्यों नजर नहीं आया.
वे संघ, राजनीतिक दल, एन जी ओ, पी आई एल दायर करने वाले सभी महारथी - क्या यह जान
नहीं पाए थे कि हमारे देश में ऐसा हो रहा है?
मान लिया
आप लोगों को किसी ने खबर नहीं की या फिर आप ने सोचा कि इससे हमें क्या फायदा होने
वाला है ? पर अब तो यह आपके ध्यान में आ गया होगा. अब आप इस पर कोई कार्रवाई
करना चाहेंगे ?
मुझे भी अब तक यह जानकारी नहीं थी. मैं तो ऐसा मानता था कि जो भी
कंपनी , संस्था हमारे देश में काम करती है वह निश्चय ही हमारे राष्ट्रीय पर्वों का
सम्मान करती है. अभी इस बार 13 व 14 अगस्त को सप्ताहाँत है और 15 अगस्त आजादी का
दिन. सोचा भाँजे – भतीजियों के साथ पास कहीं घूमे आएँ. पर निराशा तब हाथ लगी जब
पता चला कि विदेशी कंपनी में कार्यरत लोगों को उन दिनों (15 अगस्त के
मिलाकर) आजादी नहीं है. मुझे तुरंत बहुत जोर का झटका लगा. तो हम स्व - तंत्र कहाँ हुए? ...
स्व - तंत्र मतलब हमारा तंत्र कहाँ है? तंत्र तो हमारे देश (में कंपनी की इकाई)
में, अब भी वे परदेशी चला रहे हैं जिनके देश की यह कंपनी है. ऐसी कंपनियाँ हमारे
यहाँ बहुत हैं. खास तौर पर आई टी सेक्टर में सर्विस देने वाली हर कंपनी किसी विदेशी
कंपनी के लिए ही काम करती है. सोचिए कितने लोग (शायद उसमें 80 % नौजवान होंगे) आजादी
से वंचित हैं – इस दिन?
अब मैं यह आप पर छोड़ता हूँ कि आप ही निर्णय लें कि यह कितना जायज है ? इसे ऐसे ही चलने देना चाहिए ? या इस पर कुछ
कार्रवाई होनी चाहिए ? आशा है कि हर व्यक्ति, हर संस्थान- सरकारी, गैरसरकारी, एन जी ओ और पी
एल आई वाले अधिवक्ता या समाज सेवी इस पर जरूर विचारेंगे व आवश्यक समझेंगे तो उचित कार्रवाई
करेंगे.
एम.आर अयंगर.
राष्ट्रीय, पी एल आई , कंपनी, आई टी, 15 अगस्त,
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