निभाने थे कसमे और वादे तुम्हें ।
तुम अकेला ही छोड़ गए रास्ते में हमें ।
काजल बनके तुम्हारी आंखों में बसते।
सदैव तुम्हारी निगाहों में बसते।
जवानी और बुढ़ापा सब तुम्हारे साथ कटते।
निभाने थे कसमे........
एक मुलाकात की कह दो तो बहाने बनाते है।
घर पर सभी लोग हैं बाद में बताते हैं।
मैं चाहता हूं हर बार बहाना मिले ।
मेरी चाहतों का सिला ये मिले ।
मैं हार कर भी जीत जाऊं तुम्हें।
निभाने थे कसमे........