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ईश्वर क्या है???

3 सितम्बर 2024

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मैं, शाम्भवी मिश्रा, बहुत दिनों से मेरे मन मस्तिष्क में एक सवाल है जिसका जवाब मैं हर जगह, इधर उधर ढूंढने की कोशिश करती हूं लेकिन आजतक मुझे अपने इस सवाल का संतोषजनक उत्तर कहीं से न मिल सका, वह सवाल यह है कि---------
                    ईश्वर क्या है???
मैं मिलने वाले जवाबों से इसलिए सहमत नहीं हो पा रही क्योंकि मुझे ऐसा महसूस होता है की------

      ईश्वर हमारे अंदर का वह विश्वास है जो हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है, हमें जोखिम उठाने की क्षमता देता है और जीवन पर विश्वास करना सिखाता है। यह वह एहसास है जो हमें यह महसूस कराता है की हमारे ऊपर कोई है जिसकी छत्रछाया में हम जीवन का निर्वहन बिना किसी भय के कर सकते हैं।
             
                --------- *इसकेअलावा* ---------
     
    ईश्वर वह है जो 9 माह तक मां के गर्भ में उसके शिशु का ख्याल रखता है उसके लिए उसने वो सारी व्यवस्थाएं कर रखी हैं जिससे उसका अच्छा विकास और पालन पोषण मां के गर्भ में हो सके, एक शिशु जन्म से पहले ही अपनी मां को पहचानना शुरू कर देता है, यह बात मुझे ईश्वर लगती है।
    
   ईश्वर हमारे आसपास की प्रकृति है, जैसे पेड़–पौधे, नदी–झरने,पहाड़, वायु, जल, प्रकाश, मृदा, समुद्र एवं समस्त जीव-जंतु। क्योंकि ये वही चीजें हैं जो हमारे जीवन को संभव बनाती हैं, आप ही बताइए क्या इन चीजों के बिना जीवन संभव है??
        
      ईश्वर मनुष्य के अंदर की अच्छी प्रवृत्ति है, जैसे स्नेह, करुणा, दया, उपकार, परोपकार, निःस्वर्थता,अपने–पराए से ऊपर का भाव,किसकी की मदद करना(बिना बदले मे कुछ चाहे), दूसरों को शिक्षित करना(बिना बदले में कुछ चाहे), अच्छे समाज का निर्माण करने की भावना रखना। क्या इन चीजों के बिना जीवन संभव है??
     
    ईश्वर एक अदृश्य सी स्थिति–परिस्थिति है जिसे हम संयोग भी कहते हैं, ऐसा हर मनुष्य ने जीवन में कभी न कभी महसूस किया होगा कि कभी–कभी हमारे जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां आती हैं जिनसे निकलना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन सा लगता है और वास्तव में होता भी है,, लेकिन अचानक से कुछ ऐसा हो जाता है की हमारी सारी समस्याएं पल भर में छूमंतर हो जाती हैं और हम उस संकट से बाहर आ जाते हैं, आपने कभी ऐसा महसूस किया होगा या सुना होगा की कई बार आप जिस स्थान पे खड़े हैं या बैठे हैं वहां से आपके हटते ही बस सेकंड भर के अंदर कुछ बड़ी दुर्घटना घटित हो जाती है, तब हम सोचते हैं कि अगर पल भर और हम वहां रहे होते तो हमारा क्या होता? क्या अभी हम जीवित भी होते? यह परिस्थिति भी मुझे ईश्वर लगती है।

            ईश्वर मनुष्य के अंदर की वह प्रेरणा है जो उसे अच्छा सोचने और अच्छा करने के लिए किसी को देखकर या किसी की बातें सुनकर मिलती हैं। अच्छी प्रेरणा भी मुझे ईश्वर का एहसास कराती है।

           ईश्वर संगीत है, कला है, नृत्य है, योग है और वह सब कुछ है जिससे आपको खुद को ढूंढने का और खुद को समझने का रास्ता मिलता है। क्योंकि कोई व्यक्ति संगीत के जरिए खुद को ढूंढ और समझ पाता है तो कोई कला के माध्यम से, कोई नृत्य से तो कोई योग से, और मुझे लगता है की खुद को ढूंढ लेना मतलब अपने अंदर के ईश्वर को ढूंढ लेना, और मनुष्य को मन की शांति भी तभी मिलती है जब वह खुद को यानी अपने अंदर के ईश्वर को ढूंढ लेता है।

     ईश्वर किसी की खुशी को देखकर खुशी महसूस करना और किसी के दुख को देखकर दुख का एहसास करना भी है, क्योंकि ऐसा भी उसी मनुष्य के साथ संभव है जो मन का साफ हो, और ये बात तो सभी को पता है की साफ मन में ही ईश्वर का वास होता है।

        ईश्वर वह कला है जो हम कहीं से अर्जित नहीं करते, लेकिन हमारे अंदर वह जन्म से ही कहीं न कहीं छुपी होती है, जैसे कुछ लोग जन्म से ही अच्छे वक्ता होते हैं, कुछ लोग जन्म से ही अच्छे लेखक होते हैं, कोई जन्म से ही अच्छा कलाकार होता है, कोई जन्म से ही अच्छा संगीतकार तो कोई अच्छा न्र्तक होता है, कुछ लोगो को जन्म से ही उन चीजों या उन तकनीकों पे बहुत अच्छी पकड़ होती है जो उनसे पहले के पीढ़ियों ने कभी न देखा था न सुना था और न ही कभी उसके बारे में सोचा था, इस तरह की चीजों को हम God gift या ईश्वर का तोहफा कहते हैं, और ये एक ऐसी कला या ऐसी विशेषता होती जिसे ईश्वर ने हर किसी को दिया होता है बस जरूरत होती है इसे ढूंढने की, अपने अंदर की इस कला या विशेषता को ढूंढ निकलना मुझे ईश्वर लगता है।

             ईश्वर वह समझ है जो समय के साथ–साथ आपके अंदर अपने आप ही आने लगती है जैसे कभी–कभी मनुष्य दूसरों के साथ ऐसे व्यवहार कर जाता है जिससे सामने वाले को बहुत दुःख पहुंचता है, यह व्यवहार इंसान जीवन में कई बार करता है लेकिन समय के साथ–साथ इस बात का एहसास करना की आपके पिछले व्यवहार से किसी को तकलीफ हुई, आगे से ऐसा बुरा व्यवहार करने से बचना या परिस्थितियों को सकारात्मक तरीके से संभालना ईश्वर है।

            और भी ऐसी बहुत सारी बातें, चीज़ें, स्थितियां–परिस्थितियां हैं जो मुझे साक्षात ईश्वर का एहसास कराती हैं,,लेकिन उन्हें बयां नहीं कर पा रही, हम सब के जीवन में ऐसी बहुत सारी चीज़ें हैं जिनका हम एहसास तो कर पाते हैं लेकिन उन्हें बयां नहीं कर पाते।
              
              क्योंकि ईश्वर के चाहे कितने भी रूपों का एहसास कर लें, आप उन्हें कभी गिना नहीं पाएंगे, क्योंकि अनगिनत रूप और अनगिनत लीलाएं हैं ईश्वर की।🙏
             बस एक शब्द में यह कहा जा सकता है कि -
"ईश्वर वह सर्वोच्च परालौकिक शक्ति है जो इस संसार का सृष्टा और शासक है"।

                               
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सारगर्भित लिखा है आपने बहन 😊🙏 कृपया होम पेज पर मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां पढ़कर सभी भागों पर अपना लाइक और रिव्यू देकर आभारी करें 😊🙏

5 सितम्बर 2024

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने एवं अत्यंत गूढ़ रहस्य खोजने की कोशिश है 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏

4 सितम्बर 2024

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