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मैं प्रभा मिश्रा 'नूतन' ,हिंदी में एम. ए. हूँ । मैं यू ट्यूब पर भी हूं। यू ट्यूब पर मेरा चैनल --नूतन काव्य प्रभा मैं कोई कवियित्री न हूँ पर बचपन से मन के भावों को शब्दों का रूप दे कागज पर उतारती रही हूँ ,जो मुझे बहुत आत्मसंतुष्टि देता है । आसपास के वातावरण ,और लोगों की वेदनाएं ,आँसू ,देखकर मन में जो भाव उपजते हैं बस उन्हीं धागों में लेखनी की सुई से शब्दों के मोती पिरो देती हूँ ।कहानी लेखन में भी थोडा़ बहुत प्रयास किया है । मेरी एक किताब'बहना तेरे प्यार में'प्रकाशित हो चुकी है।मेरी समस्त रचनाओं पर मेरा कापीराइट है, सर्वाधिकार सुरक्षित है, तो इनके साथ छेड़छाड़ न करें।

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2024-08-26
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2024-08-14
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-08-30
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-08-14
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साप्ताहिक लेखन प्रतियोगिता2022-06-12
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-04-22
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-01-01

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कचोटती तनहाइयाँ

कचोटती तनहाइयाँ

मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ ,जिसका शीर्षक है 'कचोटती तनहाइयाँ '। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है ।मेरी ये कहानी है कहानी के नायक सूर्य प्रताप भानु व उसकी सहधर्मिणी दिव्या प्रताप भानु की । सूर्य प्रताप भानु जो अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्

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कचोटती तनहाइयाँ

कचोटती तनहाइयाँ

मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ ,जिसका शीर्षक है 'कचोटती तनहाइयाँ '। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है ।मेरी ये कहानी है कहानी के नायक सूर्य प्रताप भानु व उसकी सहधर्मिणी दिव्या प्रताप भानु की । सूर्य प्रताप भानु जो अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्

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शापित संतान

शापित संतान

मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ -'शापित संतान '।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक पिता अपनी संतान के लिए हर त्याग करता है मगर जब उसकी संतान गलत राह पकड़ ले तो उसका सुख ,चैन छिन जाता है ,ऐसी संतान शापित संतान ही होती है ।ऐसी ही शापित

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शापित संतान

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मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ -'शापित संतान '।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक पिता अपनी संतान के लिए हर त्याग करता है मगर जब उसकी संतान गलत राह पकड़ ले तो उसका सुख ,चैन छिन जाता है ,ऐसी संतान शापित संतान ही होती है ।ऐसी ही शापित

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बहू की विदाई

बहू की विदाई

मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेर

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बहू की विदाई

बहू की विदाई

मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेर

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बहना तेरे प्यार में

बहना तेरे प्यार में

'बहना तेरे प्यार में' ये कहानी दो बहनों के अथाह प्रेम को व्यक्त करती हुई कहानी है । दो बहनें नव्या और भव्या जो मैकेनिक पिता की बेटियाँ हैं । उनके पिता अस्वस्थ हैं और अपने पिता की अस्वस्थता के चलते उन्होनें दुकान चलाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है औ

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बहना तेरे प्यार में

बहना तेरे प्यार में

'बहना तेरे प्यार में' ये कहानी दो बहनों के अथाह प्रेम को व्यक्त करती हुई कहानी है । दो बहनें नव्या और भव्या जो मैकेनिक पिता की बेटियाँ हैं । उनके पिता अस्वस्थ हैं और अपने पिता की अस्वस्थता के चलते उन्होनें दुकान चलाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है औ

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स्त्री हूँ ना

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माँ की लाड़ली, पिता के ह्रदय की कली , बैठाई गई पलकों पर सदा, सँवरी,निखरी,नाजों से जो पली ,पर स्त्री हूँ ना तो कभी होना पडा़ शोहदों की फब्तियों का शिकार, कभी सहनी पडी़ एक तरफा प्यार के तेजाब की धार , कभी ससुराल में तानों और उलाहनाओं का हार पहनाया गया,

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स्त्री हूँ ना

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माँ की लाड़ली, पिता के ह्रदय की कली , बैठाई गई पलकों पर सदा, सँवरी,निखरी,नाजों से जो पली ,पर स्त्री हूँ ना तो कभी होना पडा़ शोहदों की फब्तियों का शिकार, कभी सहनी पडी़ एक तरफा प्यार के तेजाब की धार , कभी ससुराल में तानों और उलाहनाओं का हार पहनाया गया,

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नूतन रचनायें

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नूतन रचना पुष्प

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सुलगते रिश्ते

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एक रहस्य भरी कहानी

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मेरी डायरी

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दैनिक प्रतियोगिता के दिए विषय पर लेखनी चलाने का एक प्रयास भर

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 नूतन काव्य प्रभा

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मेरी इस किताब में समाजिक रचनाएं हैं

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 नूतन काव्य प्रभा

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घूंघट में कौन

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एक कहानी

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वो तस्वीर

27 सितम्बर 2024
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"तुम भी कैसी बेकार की बात कर रही हो !!......""बेकार की बात !! मैंने अपनी आंखों से देखा तब कह रही हूं,, नई-नवेली दुल्हन,कमरे में जब अकेली थी तो किसी का फोटो हाथ में लिए उसे मुस्कुरा कर देखे जा रही थी!!

मां तुम ही हो -भाग छह -अंतिम भाग

19 सितम्बर 2024
0
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"साध्वी मां ये चार और अनाथ बच्चे मिले हैं तो इन्हें भी यहां ले आया हूं.." एक संयासी चार मासूम छोटे , उदास बच्चों के साथ खड़ा उनके सिर पर हाथ फेरते हुए उनसे बोला।"अच्छा किया, इनकी भी बाकी अनाथ बच्चों क

मां तुम ही हो --भाग पांच

19 सितम्बर 2024
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"हस्ताक्षर तो तुझे करना ही है ,या तो ऐसे ही कर दे या फिर हम चारों मिलकर तेरा हुलिया बिगाड़े तब कर ,सोच ले कैसे करना पसंद करेगा !!.....""छोड़ो मुझे,,, पैर हटाओओओ ,, मैंने कहा ना कि नहीं करूंगा तो नहीं

मां तुम ही हो --भाग चार

19 सितम्बर 2024
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कोई जल लाओ शीघ्र...... वो सुजाॅय के पास बैठते हुए तेज स्वर में बोलीं फिर अगले ही क्षण याद आया कि मैं तो यहां अकेले आई थी!!तेजी से उठते हुए वो श्मशान घाट से बाहर पानी लेने दौड़ गई थीं और कुछ क्षण

मां तुम ही हो --भाग तीन

19 सितम्बर 2024
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अकस्मात उसके कंधे पर किसी ने पीछे से हाथ रखा था ....उसने मुड़कर देखा तो सुजाॅय के गुजरे हुए पिता के मित्र का बेटा था ।"परिमल तुम ...."" चाची भीतर चलिए मैं सारी सूचना ले आया हूं...." परिमल ने फुसफुसाते

मां तुम ही हो --भाग दो

19 सितम्बर 2024
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"महाराज आपकी अनुमति हो तो आज से हर लावारिस शव का अंतिम संस्कार मैं करना चाहूंगी,बस मुझे इसमें किसी की मदद चाहिए होगी जो मुझे न केवल सूचित करे कि लावारिस शव मिला है अपितु वो शव को श्मशान घाट तक ला सके

मां तुम ही हो -भाग एक

19 सितम्बर 2024
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"साध्वी मां,,,, एक लावारिस पार्थिव देह अपने अंतिम संस्कार की बाट जोह रही है......" संयासिनी के वेश में एक बालिका ने आकर हाथ जोड़कर, सूचित किया था।आश्रम के एक कक्ष में स्वस्थ काया की , गौर वर्ण, लम्बे

मैंने चोरी नहीं की -भाग दो -अंतिम भाग

11 सितम्बर 2024
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अचानक जमुना प्रसाद उठे और बोले "याद आया शिप्रा ,जब मैं लाॅकर में अंगूठी रख रहा था तब कमला मेरे कमरे से जूठे बरतन उठाने आयी थी ,मुझे जया ने आवाज दी ,मैं फौरन चला गया तब कमला कमरे से निकली न थी ये नौकरज

मैंने चोरी नहीं की--भाग एक

11 सितम्बर 2024
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आंगन में झाडू़ लगाती हुयी वह बोली-"आपकी अंगूठी बहुत खूबसूरत है साहब।""क्यों री कमला!मैं जब भी ये अंगूठी पहनता हूं ,तू यही कहती है,मेरी अंगूठी को नज़र न लगा ,ये मेरे बाबू जी ने मेरे सेवाभाव से प्रसन्न

हिंदी दिवस पर हिंदी की पीड़ा

11 सितम्बर 2024
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मैं हिंदी,गौरव मां भारती के भाल की पर,मां संस्कृत की प्यारी सुता मगर,हूं वंचिता,मान और पहचान से ,प्रतिष्ठा से और सम्मान से।अन्य भाषाएं मेरी सखी और संगिनी,जिनके साथ,मैं सरल और सुगम बनी।बीता बचपन,सूर के

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