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प्रभा मिश्रा 'नूतन' के बारे में

मैं प्रभा मिश्रा 'नूतन' ,हिंदी में एम. ए. हूँ । मैं यू ट्यूब पर भी हूं। यू ट्यूब पर मेरा चैनल --नूतन काव्य प्रभा मैं कोई कवियित्री न हूँ पर बचपन से मन के भावों को शब्दों का रूप दे कागज पर उतारती रही हूँ ,जो मुझे बहुत आत्मसंतुष्टि देता है । आसपास के वातावरण ,और लोगों की वेदनाएं ,आँसू ,देखकर मन में जो भाव उपजते हैं बस उन्हीं धागों में लेखनी की सुई से शब्दों के मोती पिरो देती हूँ ।कहानी लेखन में भी थोडा़ बहुत प्रयास किया है । मेरी एक किताब'बहना तेरे प्यार में'प्रकाशित हो चुकी है।मेरी समस्त रचनाओं पर मेरा कापीराइट है, सर्वाधिकार सुरक्षित है, तो इनके साथ छेड़छाड़ न करें।

पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-08-30
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-08-14
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साप्ताहिक लेखन प्रतियोगिता2022-06-12
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-04-22
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-01-01

प्रभा मिश्रा 'नूतन' की पुस्तकें

कचोटती तनहाइयाँ

कचोटती तनहाइयाँ

मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ ,जिसका शीर्षक है 'कचोटती तनहाइयाँ '। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है ।मेरी ये कहानी है कहानी के नायक सूर्य प्रताप भानु व उसकी सहधर्मिणी दिव्या प्रताप भानु की । सूर्य प्रताप भानु जो अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्

2337 पाठक
46 रचनाएँ

निःशुल्क

कचोटती तनहाइयाँ

कचोटती तनहाइयाँ

मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ ,जिसका शीर्षक है 'कचोटती तनहाइयाँ '। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है ।मेरी ये कहानी है कहानी के नायक सूर्य प्रताप भानु व उसकी सहधर्मिणी दिव्या प्रताप भानु की । सूर्य प्रताप भानु जो अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्

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शापित संतान

शापित संतान

मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ -'शापित संतान '।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक पिता अपनी संतान के लिए हर त्याग करता है मगर जब उसकी संतान गलत राह पकड़ ले तो उसका सुख ,चैन छिन जाता है ,ऐसी संतान शापित संतान ही होती है ।ऐसी ही शापित

898 पाठक
22 रचनाएँ

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शापित संतान

शापित संतान

मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ -'शापित संतान '।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक पिता अपनी संतान के लिए हर त्याग करता है मगर जब उसकी संतान गलत राह पकड़ ले तो उसका सुख ,चैन छिन जाता है ,ऐसी संतान शापित संतान ही होती है ।ऐसी ही शापित

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बहू की विदाई

बहू की विदाई

मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेर

641 पाठक
20 रचनाएँ

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बहू की विदाई

बहू की विदाई

मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेर

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बहना तेरे प्यार में

बहना तेरे प्यार में

'बहना तेरे प्यार में' ये कहानी दो बहनों के अथाह प्रेम को व्यक्त करती हुई कहानी है । दो बहनें नव्या और भव्या जो मैकेनिक पिता की बेटियाँ हैं । उनके पिता अस्वस्थ हैं और अपने पिता की अस्वस्थता के चलते उन्होनें दुकान चलाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है औ

506 पाठक
101 रचनाएँ
19 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 53/-

प्रिंट बुक:

343/-

बहना तेरे प्यार में

बहना तेरे प्यार में

'बहना तेरे प्यार में' ये कहानी दो बहनों के अथाह प्रेम को व्यक्त करती हुई कहानी है । दो बहनें नव्या और भव्या जो मैकेनिक पिता की बेटियाँ हैं । उनके पिता अस्वस्थ हैं और अपने पिता की अस्वस्थता के चलते उन्होनें दुकान चलाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है औ

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स्त्री हूँ ना

स्त्री हूँ ना

माँ की लाड़ली, पिता के ह्रदय की कली , बैठाई गई पलकों पर सदा, सँवरी,निखरी,नाजों से जो पली ,पर स्त्री हूँ ना तो कभी होना पडा़ शोहदों की फब्तियों का शिकार, कभी सहनी पडी़ एक तरफा प्यार के तेजाब की धार , कभी ससुराल में तानों और उलाहनाओं का हार पहनाया गया,

343 पाठक
55 रचनाएँ

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स्त्री हूँ ना

स्त्री हूँ ना

माँ की लाड़ली, पिता के ह्रदय की कली , बैठाई गई पलकों पर सदा, सँवरी,निखरी,नाजों से जो पली ,पर स्त्री हूँ ना तो कभी होना पडा़ शोहदों की फब्तियों का शिकार, कभी सहनी पडी़ एक तरफा प्यार के तेजाब की धार , कभी ससुराल में तानों और उलाहनाओं का हार पहनाया गया,

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नूतन रचनायें

नूतन रचनायें

नूतन रचना पुष्प

87 पाठक
44 रचनाएँ

निःशुल्क

नूतन रचनायें

नूतन रचनायें

नूतन रचना पुष्प

87 पाठक
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सुलगते रिश्ते

सुलगते रिश्ते

एक रहस्य भरी कहानी

40 पाठक
56 रचनाएँ
7 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 53/-

सुलगते रिश्ते

सुलगते रिश्ते

एक रहस्य भरी कहानी

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 नूतन काव्य प्रभा

नूतन काव्य प्रभा

मेरी इस किताब में समाजिक रचनाएं हैं

16 पाठक
36 रचनाएँ

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 नूतन काव्य प्रभा

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मेरी कैप्टन गिलहरी

मेरी कैप्टन गिलहरी

दैनिक प्रतियोगिता के दिए विषय पर लेखनी चलाने का एक प्रयास भर

8 पाठक
3 रचनाएँ

निःशुल्क

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घूंघट में कौन

घूंघट में कौन

एक कहानी

निःशुल्क

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और देखे

प्रभा मिश्रा 'नूतन' के लेख

हिंदी

13 सितम्बर 2023
2
2

भोर की प्रथम किरण जैसी,सरल,सुखद,सहज,सुंदर,शुद्ध,सारगर्भित,अर्थपूर्ण,बोधगम्य ,मनोहर।भारत,भारतीयों की,हिंदी भाषा,उसके स्वर।चलें जब जिहवा चढ़कर,कानों में ज्यों अमृत घोलें,धीरे धीरे चल,आनंदित कर।सजी अलंका

जन्माष्टमी

6 सितम्बर 2023
0
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मोहिनी मूरत ,सूरत श्याम,श्याम की,मोर मुकुट,सुंदर शीश पर सजाए हैं।वसुदेव नंदन,नंद बाबा के दुलारे श्याम,श्याम अवतार ले,पालने में आए हैं।करने कंस का संहार,हरने सकल,भूमि भार,सुनकर आर्त पुकार,गिरि शीश पर उ

धन्य हैं गुरुवर 🙏

5 सितम्बर 2023
0
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सड़क पर पडा़, तो मारते हैं लात। मंदिर में खडा़, तो जोड़ते हैं हाथ। फर्क है नसीब का, एक है अशिक्षित, तो दूसरा है, पूर्ण शिक्षित,दीक्षित। गुरु का सानिध्य पा, लोग बनते हैं विद्वान, पाते हैं मान सम्मान। उ

रक्षाबंधन पौराणिक

31 अगस्त 2023
0
0

रक्षाबंधन पर बात करें तो सर्वप्रथम शिशशुपाल का वध करने के बाद श्रीकृष्ण का चक्र उनकी उंगली पर वापस आते समय उनकी कलाई में लग जाने के कारण रक्त निकलने लगा तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर

रक्षाबंधन 😓😓

30 अगस्त 2023
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2

जब मन हो उदास ,तब भैया आती है ,आपकी बहुत याद,और तड़प उठती हूँ मैं,और कहती हूँ -भैया कहां चले गये आप !!एक बार भी न सोचा ,जब आयेगा रक्षाबंधन,तब सब बहनें खुशियां मनायेंगी,अपने भाइयों की कलाई ,राखी से सजा

कचोटती तन्हाइयां -भाग 46अंतिम भाग

16 अगस्त 2023
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7

दिव्या और सूर्य प्रताप भानु घर के मुख्य दरवाजे से पहले बने बरामदे के ऊपर बने कमरे में ले गए , और दिव्य प्रताप भानु और कनक , दिनकर प्रताप भानु और उसकी पत्नी सहित चले गए ।दिव्य प्रताप भानु ने चतुराई के

कचोटती तन्हाइयां -भाग 45

16 अगस्त 2023
35
4

शिव प्रताप भानु का कोई समाचार न‌ मिलने के कारण श्रीधन का मन छटपटाता रहा ........... राज प्रताप भानु बहन शिवाली के विवाह की तिथि समीप आने के कारण विवाह की बची हुई तैयारियों में लगा था और उसी मध्य

कचोटती तन्हाइयां -भाग 44

15 अगस्त 2023
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शिवाली के लिए इसके आगे एक शब्द भी कहा तो मैं तुम्हारी जुबान खींच लूंगा ,मुझे शिवाली के लिए ऐसे शब्द सुनना कदापि स्वीकार नहीं है , तुम्हें पूरी सौ एकड़ भूमि चाहिए ना , ठीक है तुम्हें पूरी सौ एकड़ भूमि

हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
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हर घर तिरंगा ----एक राग और एक रंग में ,नव जोश और नव उमंग में ,सबको साथ कदम बढा़ना है आजादी का है अमृत महोत्सव,हर घर तिरंगा लहराना है ।मिटाकर मन के पन्नों से,मद ,क्रोध, ईर्ष्या, आलस्य,

कचोटती तन्हाइयां -भाग 43

13 अगस्त 2023
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राज प्रताप भानु खेतों पर काम करते हुए पिता से बोला -" पिताजी ,आप चिंता न करें, शिवाली ने कह दिया है मगर वो एक दिन‌ भी भूख सह न पाएगी और भोजन कर लेगी , वो एक दिन भोजन न करे वो मैं सह सकता हूं मगर उसको

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