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जाज मऊ का टीला

8 नवम्बर 2021

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*जाजमऊ का ऐतिहासिक टीला*

आज आपसे  शहर कानपूर मे स्थित  जाजमऊटीले की कुछ जानकारियां साझा कर रहा हूं  कभी अखंड भारत कि राजधानी हुवा करता था ये स्थान,"!

कानपुर के इतिहास में राजा यायाति का नाम भी अमर है, यहां गंगा किनारे अखंड भारत पर राज करने वाले राजा की राजधानी हुआ करती थी। सैकड़ों साल पहले खंडहर में तब्दील राजा का किला टीले में तब्दील हो गया था, जो आज पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। इस टीले की खुदाई  में पुरातत्व विभाग की टीम को 2800 साल पुरानी संस्कृति के अवशेष मिल चुके हैं। इससे इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है !

इतिहास  के मुताबिक चन्द्रवंशी राजा नहुष के छह पुत्र थे, याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति और कृति। बड़े पुत्र याति के विरक्त स्वभाव की वजह से राजा ने सोच विचार कर ययाति को राजगद्दी पर बैठाया। ययाति का विवाह दैत्यगुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से हुआ। कहा जाता है कि ययाति पत्नी देवयानी की सहेली शमिष्ठा से भी प्रेम विवाह कर लिए

जब यह बात शुक्राचार्य को पता चली तो उन्होंने ययाति को जवान से बूढ़ा हो जाने का श्राप दिया। क्षमा याचना के बाद शुक्राचार्य ने कहा कि अगर उनका कोई पुत्र उन्हें अपनी जवानी दे दे तो वह दोबारा से जवान हो सकते हैं। ययाति के पांच बेटे थे, जिसमें से शर्मिष्ठा से ही उत्पन्न पुत्र पुरू ने अपनी जवानी पिता को दान दे दी। हालांकि  बाद ययाति को जिवन से घृणा हुई और वह पुरू को राज्य सौंपकर जंगल में तपस्या करने चले गए।

ययाति का शासन अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बर्मा, थाईलैंड तक फैला था। उन्होंने जाजमऊ को अपनी राजधानी बनाया और गंगा के किनारे अपना महल। जनश्रुति यह भी है कि राजा ययाति ने ही जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ मंदिर की स्थापना की थी।

भारतीय पुरातत्व विभाग  ने ऐतिहासिकता जानने के लिए जाजमऊ के टीले की खोदाई कराई तो 2800 साल पुराने साक्ष्य मिले थे। कहा जाता है कि यहां पर मौर्य काल से लेकर मुगल काल तक शासन के साक्ष्य दफन हैं। राजा ययाति का किला वर्ष 1968 में तब चर्चा में आया था जब पुराना गंगा पुल बनाने के लिए खोदाई की गई। हजारों साल पुराने अवशेष मिलने पर पुरातत्व विभाग ने टीले को संरक्षित कर दिया था।
इसकी देखरेख के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदारी दी गई थी।

भारतीय पुरातत्व विभाग इस किले से जुड़े प्रकरणों को करीब से देख रेख करता है।खोदाई में समय कुछ बर्तन मिले थे, जिनकी कार्बन डेंटिंग और बनावट के आधार पर अनुमान था कि वो 2600 से 2800 साल प्राचीन हैं।

खोदाई में कुछ निर्माण भी निकले थे, जिसे देखकर अनुमान था कि सभी मौर्य काल के हैं। यहां कुषाण काल, गुप्त काल से जुड़े अवशेष भी मिल चुके हैं। इसमें मिट्टी के बर्तन, अभूषण और मिट्टी की मुहरें भी हैं। उत्खनन में चांदी के कई सिक्के भी मिल चुके हैं।

ये एक ऐतिहासिक अभिलेख है जो अपने अंदर तामम इतिहास को समेटे हुए गंगा किनार खड़ा हुआ है!


गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बढिया विस्तृत वर्णन। शुभकामनाएं।

9 नवम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

9 नवम्बर 2021

धन्यवाद जी नमस्कार

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