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जीत

13 नवम्बर 2021

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किस्मत#भी बदल लेते हैं वो,जो जीत गये #हालातों# से,
सुंदर,#सुषमा# हर दिन सुबह,आती है #तम# की रातों से।
चल बुनकर #सपने#अपने, #विश्वास#डोर#को थामें  चल,
किसी और से ना #उम्मीद#रहे,तू खुद से खुद का #वादा# कर।

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रचनाएँ
आनंद शब्द सागर
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खुद को ढूंढता हूं खुद में, दुनिया की चकाचौंध में, होशोहवाश से बेसुध मैं, आलीशान घर मे तन्हा मैं। मिला नही खुद से, जगा नही बेसुध मैं, खो सा गया हूँ, मैं रो रहा हूँ।

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