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जिंदगी एक पेड

20 दिसम्बर 2022

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जिंदगी एक पेड ही तो हैं ना जिन्हे हम छाव देते हैं, वही एकदिन हमे घाव देते हैं . जिसप्रकार छाव में पनाह लिये मुसाफिरो में पेड कभी भेदभाव नहीं करता उसी प्रकार,दुःखी भाव लिये दर पे आये इंसानो को दयावान इंसान खाली हाथ,नहीं जाने देता,परिणाम स्वरूप एकदिन वही मुसाफिर, उसी पेड की दहनिया काटते है जिसकी छाव में कभी उन्होने, पनाह ली थी.
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जिंदगी एक पेड है
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जिंदगी एक पेड ही तो है जिन्हे हम छाव देते हैं एक दीन वही हमे घाव देते है

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