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किताबे पढनेवाले समझदारी की बाते कर रहे हैं,प्यार में धोका खाने वाले खुद को दोषी मानकर,मर रहे हैं. मंजिल पाने निकले मुसाफिर मुसीबतो से डर रहे हैंछोड दौलत अपनी अमिर तो गरीब अपने ख्वाब ,छोडकर,गुजर र