इस किनारे से उस किनारे तक का सफर बाकी हैI
एक मल्ला की कश्ती के सहारे तक का सफर बाकी हैII
मेरा केवट ही मुझे मझधार तक ले आया!
अब ना जाने कौन मुझे किनारे तक लेकर जाएगा!!
मल्लाह तुम मुझे मझधार में ले आए!
डूबते हुए सूरज की कतार में ले आए!
सुबह के मुसाफिर को सांझ के राहगीर में ले आए!!
जो मझधार में तैर लिया करते हैं I
अक्सर किनारों पर डूब जाया करते हैंII
जिंदगी हैरान कर देती है तू,
कुछ लम्हों में परेशान कर देती है तू I
हम सोचते बहुत हैंI
इसलिए हर जगह तुम को खोजते बहुत हैं II
एक लम्हे की जिंदगी उसमें भी इतने द्वेष!
घूम कर दिया मैंने खुद को,
जिंदगी के कुछ झूठे सपनों के लिए!
कुछ अपनों के लिए!
और कुछ गैरों के लिए!!
हालात कैसे भी हो हंसते रहना चाहिए!
सफलता हो या असफलता चलते रहना चाहिए!!
चाहा होनी चाहिए,
रहा तो अपने आप मिल जाएगीI
जिंदगी है!
आज नहीं तो कल संवर जाएगीI
सोच समझकर खर्च करो यह जिंदगी है!
थोड़ा हंस कर खर्च करोl