शब्द कम पड़ गए तेरी याद मे
कमरे का कोना- कोना भरा पड़ा हैं तेरी खुशबू से
कब दिन से रात और रात से दिन हो गया तेरी जुदाई मे
दहलीज़ पर बैठ कर किया इंतजार और सजना तू आया ना एक भी बार
अब तो काट लेंगे जिंदिगी ऐसे ही तेरी यादों में गुम होकर
चाहे जीना पड़े ऑंखें नाम कर कर