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कच्ची उम्र का प्यार

27 नवम्बर 2021

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मेरी एक उम्र में एक कसूर भी ऐसा हुआ था 
नादान था उस समय मैं ,जब पहला प्यार हुआ था

बेचैनी सी रहती थी उसके ख्यालो की
हर पल एक नया स्वप्न बुनता था
उलझनों  में  मैं  हर  पल
सही  गलत के  फैसले चुनता था  ।।

उसकी हर बात  में नादानी सी रहती थी
वो कुछ डरी हुई कुछ सहमी सी 
वो  कुछ बिखरी हुई सी रहती थी

हर पल उसका साथ अच्छा लगता था
स्कूल में बिन उसके मन नही लगता था 

वो मील तक उसके साथ पैदल चलते रहना
वो  बर्फ के गोले की  चुस्की साथ मे लेना

जब भी रात में करवट बदलता हूँ जहन में तुम होती हो
घड़ियों की टिक टिक आवाज में हर पल तुम बसती हो

जब समझाने में तुम्हे प्यार हमारा नसे भारी हो जाती है
बार बार रटने में नाम तुम्हारा यादे फिर ताजा हो जाती है

जब यादों में दिन ,महीने , साल सब कट जाते
 तुम         हमे         याद      बहुत        आते 
जब पागलपन का ख्वाब इस दिलकश चेहरे मैं दिखता है
फिर वही स्कूल वाला  कच्ची उम्र का प्यार हमे दिखता है

न जाने अब वो कहा होंगी उसे याद हूँगा या नही मैं 
इस बेचैनी में रात करवटों में बदल बदल कर कट जाती है
दुःख की इस घड़ी में माथे की नस ठनक जाती है
राते लम्बिया होने पर रह-रह कर कट जाती है

तुम्हारे बिन अब जीना भी इस जहाँ में मृत्यु काल सा लगता है ,
फिर वही स्कूल वाला कच्ची उम्र का प्यार हमे बार-बार दिखता है ।।


                      ꪑ𝕣-ꫀꪑꪮ𝕥ⅈꪮꪀꪖꪶ 
                          






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धन्यवाद जी

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रचनाएँ
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अहसासों का एक ऐसा गहरा समुद्र जो अनन्त गहराई तक जाता है , आप इसको जितना दिल से लगाओगे इसमे डूबते चले जाओगे ।। प्यार को अथाह भव्य श्रृंगार से सवारने का प्रयत्न किया है ।।

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