दिल इश्क़ में है यारो जरा सम्भल कर
वरना यार के हसने पे इतनी बारिश नही होती
सच तो ये है यारो जग मेरा गम में है
वरना बरसता की बूँदों में अश्रु सी खारियत नही होती ।।
किसी का लुटा किसी का तबाह हो गया
यहाँ कुछ शख्सों का साथ इकला रह गया
तन्हा बैठ कर रोया मेरा यार गम की बरसात में
तभी तो कहूँ ऐसे कैसे बरसात का पानी खारा हो गया ।।
खारापन है कुछ रिश्तों में पहले जैसी अहमियत नही
दिल टूट कर बिखर रहे हैं वो पहले जैसी रुखसत नही
और अभी भी संस्कृति खोई नही हमने जरा सम्भल जाओ
गरबान में कोई ताँक झाँक करें ऐसी किसी की हिम्मत नही ।
ꪑ𝕣-ꫀꪑꪮ𝕥ⅈꪮꪀꪖꪶ