17 जुलाई 2017
बहुत उम्दा
17 जुलाई 2017
आदरणीय आपकी रचना एकदम आजकल के हालात से अवगत कराती है --'' -चरित्र और नैतिकता की उड़ गयी गंध फूलों से. --------- रंग भरा फगुवा सावन की मृदु कजली झूलों से. पड़ी दरारें रिश्तों में सूखी उर की हरियाली. अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.!!!!!!!!!!!! '' ------- बहुत सुंदर -- बहुत ओजपूर्ण शब्दों से सजी सार्थक रचना
17 जुलाई 2017