27 नवम्बर 2015
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मंजिल मिले न मिले ये मुक्कदर की बात हैं ! हम कोशिश भी न करें ये तो गलत बात हैं ।....jindgi जख्मों से भ री है वक्त को मरहम बनाना सिख लो हारना तो है एक दिन मौत से फ़िलहाल दोस्तों के साथ जिंदगी जीना सिख लो ,।.....!!
किसी का दिल मत दुखाओ उसकेआंसू तुम्हारे लिए सजा बनसकतेहैं.......... वो ख्वाहिशे अजीब थी , सपनेअजीब थे जीने को तेरे प्यार की दौलत मिली थो थी ।..jab तुम नहीं थे उन दिनों हम भी गरीब थे ।....
जिंदगी हर हल में ढलती हैं ,जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती हैं,गीले शिकवे कितने भी हो ,हर हाल में हसते रहना क्योकि...जिंदगी ठोकरों से ही संभालती है....