27 अगस्त 2015
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कितना मुस्किल है जज्बात को छुपानाकितना मुस्किल है हर बात को छुपानाआँखे तो कर देती है सब कुछ ब्याकितना मुस्किल है मुस्कान के पीछे सैलाब को छुपाना
भीगी पलकों से आंसू चुरा ले गया कोई उदासी को छीन मुस्कुराहट दे गया कोईदर्द से भरा दिल था मेरा जाने कैसे मोहबत से फिर भर गया कोईजिस दर्द में भूल बैठे थे खुद को फिर से खुद का आइना दिखा गया कोई जिंदगी जीना मुस्किल हो गया था फिर से जीने की राह दिखा गया कोई
कुछ खुशीया दरवाजे से लौट जाती हैं और कुछ गम जातें हुए भी लौट आतीं हैं।
मेरी नादानी को दिल से न लगा लेना।बस इसे मुस्कुराने की वजह बना लेना।।