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जीने की राह फिर दिखा गया कोई

11 सितम्बर 2015

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भीगी पलकों से आंसू चुरा ले गया कोई उदासी को छीन मुस्कुराहट दे गया कोई दर्द से भरा दिल था मेरा जाने कैसे मोहबत से फिर भर गया कोई जिस दर्द में भूल बैठे थे खुद को फिर से खुद का आइना दिखा गया कोई जिंदगी जीना मुस्किल हो गया था फिर से जीने की राह दिखा गया कोई
दिलीपवर्मन

दिलीपवर्मन

था कोई तेरा चाहने वाला ही जो तेरे दिल मे फिर प्‍यार जगा गया

12 सितम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

उदासी को छीन मुस्कुराहट दे गया कोई...सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

11 सितम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

बहुत सुन्दर कविता!

11 सितम्बर 2015

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कितना मुस्किल है

27 अगस्त 2015
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कितना मुस्किल है जज्बात को छुपानाकितना मुस्किल है हर बात को छुपानाआँखे तो कर देती है सब कुछ ब्याकितना मुस्किल है मुस्कान के पीछे सैलाब को छुपाना

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जीने की राह फिर दिखा गया कोई

11 सितम्बर 2015
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भीगी पलकों से आंसू चुरा ले गया कोई उदासी को छीन मुस्कुराहट दे गया कोईदर्द से भरा दिल था मेरा जाने कैसे मोहबत से फिर भर गया कोईजिस दर्द में भूल बैठे थे खुद को फिर से खुद का आइना दिखा गया कोई जिंदगी जीना मुस्किल हो गया था फिर से जीने की राह दिखा गया कोई

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खुशियाँ

20 मार्च 2018
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कुछ खुशीया दरवाजे से लौट जाती हैं और कुछ गम जातें हुए भी लौट आतीं हैं।

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नादानी

20 मार्च 2018
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मेरी नादानी को दिल से न लगा लेना।बस इसे मुस्कुराने की वजह बना लेना।।

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