सोचता हूँ कुछ अल्फ़ाज़ लिखूं,
अपने सपनो की की हर बात लिखूं ,
जिसे देखा था मैंने सपनो में
उस सपनो की हर वो बात लिखूं ।
दूर बादलो से मेरे ख्वाबो में आती थी ,
बहती हवाओ से मुझको आवाज़ वो लगाती थी ,
पास आकर प्यारी सी एक मुस्कान दे जाती थी ,
जाते जाते कानो में कुछ बाते बोल जाती थी ,
उस हसींन मुस्कान की हर बात लिखूं ,
सोचता हूँ कुछ अल्फ़ाज़ लिखू ।
मांगी थी दुआ उसे पाने की ,
उसे अपना बस अपना बनाने की,
उस दुआ की हर वो बात लिखूं ,
सोचता हूँ कुछ अल्फ़ाज़ लिखूं ।
नव प्रभात को देखा कोई नज़र नही आया ,
सपना था यह कहकर मै मंद मंद मुस्काया,
सोचा सबके सपने अगर इतनी रंगीन होते ,
तो समस्त मानव जीवन हसीन होता ,
उस हसीं जीवन की हर बात लिखूं,
सोचता हूँ कुछ अलफ़ाज़ लिखूं ॥