मेरे बुझने पे जो तुम हंसने लगे
चिराग हूँ, फिर जल जाऊं
कुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जाने
मेरे मुरझाने पे जो तुम हंसने लगे
फूल हूँ, फिर खिल जाऊं
कुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जाने
मेरे टूटने पे जो तुम हंसने लगे
शीशा हूँ , फिर जुड़ जाऊं
कुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जाने