26 सितम्बर 2019
मेरे बुझने पे जो तुम हंसने लगेचिराग हूँ, फिर जल जाऊंकुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जानेमेरे मुरझाने पे जो तुम हंसने लगेफूल हूँ, फिर खिल जाऊंकुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जानेमेरे टूटने पे जो तुम हंसने लगे शीशा हूँ , फिर जुड़ जाऊंकुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जाने