आधी पिता की छाया हूँ
आधी माता की काया हूँ
मेरा मुझ में क्या हैं
मैं क्या ले के आया हूँ
नाम भी पराया हैं
किस का गुमान करू
खाली हाथ ही जाऊगा
खाली हाथ ही आया हूँ
मेरा मुझ में क्या हैं
मैं क्या ले के आया हूँ
पूरा कभी ना था,अधुरा ही था
पूरा जब हुआ हूँ
जब आधा अंग लाया हूँ
अर्धांगिनी लाया हूँ
मेरा मुझ में क्या हैं
मैं क्या ले के आया हूँ
सिर पे बोझ हैं
मेरा अंश वंश बढ़े
बस इतना सा,फर्ज निभाने आया हूँ
मेरा मुझ में क्या हैं
मैं क्या ले के आया हूँ
मेरी काया भी मेरी नही
जाऊगा तो यहीं,छोड़ जाऊगा
बस अग्नि के हवाले,करने आया हूँ
मेरा मुझ में क्या हैं
मैं क्या ले के आया हूँ
m.s.suthar..✍