ब्रह्मा के ब्रह्मकमल को
अब शायद ब्रह्मराक्षसो ने
विष्णु नाभी से तोड़
रक्त तालाब में
स्थापित कर दिया हैं
देव भूमी भारतभूमी में
कृषक की छाती पर भी
अब हल चला दिया हैं
क्षुब्दा से तृस्त जनमानस
धरा प्यासी खलिहान प्यासे
बेमौसम बारिश ने भी
अरमानो पर पानी फेर दिया हैं
राज मद में नादान
राज का मोल भूल बैठे
सब कुछ अस्त व्यस्त कर दिया है
ईश्वर भी जाने किसके पास है
हर दुकान पे नए भाव है
नाना प्रकार है
शायद कल्कि अवतार की आस में
कलयुग ने भी पाँव पसार दिया है
m.s.suthar..✍...