प्रभु जी तोरी लगन लागी
हो गई कुसुम बैरागी ।
प्रभु जी मैं तोरी दासा
ज्यों कबीर ज्यों रैदासा ।
नईया करो मोरी पार
छूटे नाहीं यो संसार ।
प्रभु जी मैं को धन अपार
मिटाओ कुत्सित विचार ।
प्रभु जी झांको मेरी ओर
खो ना जाए जीवन में भोर ।
प्रभु जी थां बिन दुजो न कोय
मीरा दासी को विष अमृत होय ।
प्रेम निशदिन उमंगी
पांचों तत्वों में आप हो संगी ।
आप हो प्रभुजी तन मन में समायो
गुरु ज्ञान मिल्यो ध्यान लगायो ।
प्रभु जी अखियां हो गई प्यासी
जो कृष्ण बिन राधा उदासी ।
तुम रो दर्शन निश दिन भावे
तीन लोक तुमरे दर्शन में पावे ।।