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मैं लक्ष्मी, बचपन से ही मुझे संगीत, साहित्य और कला में रुचि रही है,हिंदी साहित्य में ही परा स्नातक किया अध्यापन कार्य किया, हॉबी क्लासेस भी की अब अपने जीवन के अनुभव के मोती, शब्दों में ढालकर कभी, कविता, कभी कहानी और कभी उपन्यास के रूप में ढालती हूँ मेरा अपना ब्लॉग भी है प्रतिलिपि मंच से भी जुड़ी हूँ, अब शब्द इन के दोस्तों से भी वही प्यार और सहयोग की उम्मीद करती हूँ, अपना प्यार मुझ पर बनाये रखेंगे 🙏

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-08-18
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-07-17
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-07-13
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-06-07

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बदली का चाँद

बदली का चाँद

ये एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो सीधी और भोली होने के साथ -साथ बहादुर भी है । ज़िंदगी में उसे प्यार में धोखे भी मिले, ज़िंदगी के उतार चढ़ाव को पार करते हुए उसकी ज़िंदगी कहाँ से कहाँ पहुँच गयी? तब भी अपने लोगों और दोस्तों के साथ खड़ी रहती है । अपने जीव

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बदली का चाँद

बदली का चाँद

ये एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो सीधी और भोली होने के साथ -साथ बहादुर भी है । ज़िंदगी में उसे प्यार में धोखे भी मिले, ज़िंदगी के उतार चढ़ाव को पार करते हुए उसकी ज़िंदगी कहाँ से कहाँ पहुँच गयी? तब भी अपने लोगों और दोस्तों के साथ खड़ी रहती है । अपने जीव

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प्रेरक कहानियाँ

प्रेरक कहानियाँ

ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ स

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ईबुक:

₹ 132/-

प्रेरक कहानियाँ

प्रेरक कहानियाँ

ज़िंदगी में अनेक घटनाएँ -दुर्घटनाइयें,होती हैं,ज़िंदगी जाने -अंजाने अनेक परेशानियों से गुजरती है,इस ज़िंदगी में अनेक रिश्ते भी होते हैं जिनसे हमें कुछ न कुछ सीख मिलती है,सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे कोई छोटा हो या बड़ा। जीवन में हर पल कुछ न कुछ स

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हवेली का रहस्य

हवेली का रहस्य

ये कहानी कामिनी नामक लड़की की है, वो किस तरह, अंगूरी देवी की छोटी बहू बन जाती है? और किस प्रकार वो उस रहस्यमयी हवेली तक पहुँच जाती है, ये सब आपको इस कहानी को पढ़कर पता चलेगा, कामिनी कैसे एक - एक कर कहानी के रहस्यों को खोलती है जानने के लिए पढ़िये- "ह

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हवेली का रहस्य

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ये कहानी कामिनी नामक लड़की की है, वो किस तरह, अंगूरी देवी की छोटी बहू बन जाती है? और किस प्रकार वो उस रहस्यमयी हवेली तक पहुँच जाती है, ये सब आपको इस कहानी को पढ़कर पता चलेगा, कामिनी कैसे एक - एक कर कहानी के रहस्यों को खोलती है जानने के लिए पढ़िये- "ह

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जीवन के रंग

जीवन के रंग

इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से

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जीवन के रंग

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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से

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खूबसूरत पल

खूबसूरत पल

मन के किसी कोने में छिपे भावों के मोती कभी कविता,कभी गजल का रूप ले लेते हैं। उन्हें दिल की किताब से बाहर ला पन्नों पर उकेरने का प्रयास करती हूँ। कभी ये भाव सामाजिक कभी अपने आप से प्रशन करते नजर आते हैं।कम शब्दों में बहुत कुछ कहता काव्य ! मन के किसी क

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खूबसूरत पल

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मन के किसी कोने में छिपे भावों के मोती कभी कविता,कभी गजल का रूप ले लेते हैं। उन्हें दिल की किताब से बाहर ला पन्नों पर उकेरने का प्रयास करती हूँ। कभी ये भाव सामाजिक कभी अपने आप से प्रशन करते नजर आते हैं।कम शब्दों में बहुत कुछ कहता काव्य ! मन के किसी क

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ऐसी भी ज़िंदगी

ऐसी भी ज़िंदगी

यह कहानी निलिमा सक्सेना के जीवन की कहानी है,जो इस समाज की एक इकाई है,नारी जाति पर अनेक कहानियाँ लिखी गयी हैं और लिखी जाती रहेंगी किंतु हर नारी के जीवन का एक अलग ही पहलू उभरकर आता है,जो एक कहानी बन जाता है।ऐसी एक नारी है "निलिमा सक्सेना " जो एक मध्यमव

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ऐसी भी ज़िंदगी

ऐसी भी ज़िंदगी

यह कहानी निलिमा सक्सेना के जीवन की कहानी है,जो इस समाज की एक इकाई है,नारी जाति पर अनेक कहानियाँ लिखी गयी हैं और लिखी जाती रहेंगी किंतु हर नारी के जीवन का एक अलग ही पहलू उभरकर आता है,जो एक कहानी बन जाता है।ऐसी एक नारी है "निलिमा सक्सेना " जो एक मध्यमव

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आलेख

आलेख

हमारे जीवन में अथवा समाज में हम कुछ ऐसा देखते या सुनते हैं जिन पर कई बार हम सहमत होते हैं और कई बार सहमत नही होते तब उस विषय पर हमारे विचार हमारी सोच उसके पक्ष या विपक्ष में हमें लिखने पर बाध्य कर देती है। कई बार किसी चीज की जानकारी हम लेख द्वारा ही

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बेचारी

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ऋचा एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की है और वो शहर में नौकरी करने आती है।और न जाने किन रहस्यों में उलझती चली जाती है।उसकी ज़िंदगी का,हर एक रहस्य एक नया सवाल खड़ा कर देता है।क्या वो बेचारी है? या फिर ये भी एक रहस्य है किसके कारण,वो भयभीत होती है?उसके भय

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बेचारी

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ऋचा एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की है और वो शहर में नौकरी करने आती है।और न जाने किन रहस्यों में उलझती चली जाती है।उसकी ज़िंदगी का,हर एक रहस्य एक नया सवाल खड़ा कर देता है।क्या वो बेचारी है? या फिर ये भी एक रहस्य है किसके कारण,वो भयभीत होती है?उसके भय

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सुन री पतंग

15 जनवरी 2025
0
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सुन री, पतंग ! तू गगन को चूमना। स्वच्छंद हो ,वायु संग अंबर में झूमना। तोड़ बंधन ,सभी यहाँ -वहां न घूमना। मेरी रंग- बिरंगी ,प्यारी सतरंगी पतंग ! जिसकी डोर, मेरे इन हाथों बंधी।

ए ,मेरी पतंग!

15 जनवरी 2025
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तू क्यों उलझी है ? कांटों में ,क्यों आई? किसी की बातों में,क्या करती? हौसला बुलंद था। छूने को मेरे तमाम, गगन था। बस अपने से ही ,मात खा गईबंधी थी, जिस डोर से, वही, कच्ची डोर उलझा गयी।&nb

चींटी सा संघर्ष

9 जनवरी 2025
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छोटी सी जिंदगानी पर....... ,भार, उत्तरदायित्वों का रहा। मानव जीवन संघर्षशील रहा। सम्भलता, गिरता ,उठता। मंजिल की ओर अग्रसर रहा। हौसलों को, टूटने ना दिया। दृढ़ निश्चय, पर

बोलना जरूरी है।

9 जनवरी 2025
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कब तक, अपने होठों को सिले रहोगे ?घुटते रिश्ते , दम तोड़ते नजर आते है,सही वक्त पर,सही बोलना जरूरी है। झूठ' सच पर हावी हो,बोलना जरूरी है। प्यार करते रहे, उसको न मालूम हो ,एहसास ए मोहब्बत

स्वेटर और शॉल!

7 जनवरी 2025
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कड़क ठंड में ,स्वेटर ही नहीं, शॉल भी चाहिए। साथ में गरमा- गरम चाय -पकौड़ा भी होना चाहिए।थरथर कांपता बदन, जीवन संघर्षों को अग्नि चाहिए। जज़्बा ! जो बढ़ा सके , ऐसा ताप होना चाहिए। मन खुश र

यह परिवर्तन की बेला है।

7 जनवरी 2025
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परिवर्तन'' यूं ही, नहीं होते, जब पृथ्वी पर पापाचार बढा। हर युग में, परिवर्तन आया है। कुछ महान हस्तियों ने........ परिवर्तन कर दिखलाया है।'जग' तुमको याद करें ! ऐसा कुछ क

जी लो!

31 दिसम्बर 2024
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उम्र,इक पड़ाव पर ये बताती है। अब, अपने लिए जिया करो !रह - रहकर कुछ समझाती है। दृष्टि की क्षीणता,गेसुओं की चांदी,तोरा ह्रदय द्वार खटखटाती हैं । दिल कहता -अभी और उड़ना है। दिल की उमंग

समय के साथ चल

31 दिसम्बर 2024
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मानव ! तू समय के संग -संग चल !''समय चक्र'' चलता........ निरंतर। मानव ! कभी ठहर ! चला सोचता। कहां जाना, क्यों है ,मुझको जाना ? कभी ठहरता, दौड़ता थक जाता। समय संग,मंजिल तय न कर पाता

सफरनामा

28 दिसम्बर 2024
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वक्त'' रेत सा...... फिसलता रहा। जिंदगी का सफर यूं ही, चलता रहा। उम्मीदों के दिए जला,मैं चलता रहा।साल दर साल कैलेंडर बदलता रहा। अवसान दिन कानहीं,साल बदलता रहा। नवीन दिवस, नवीन

ज़िंदगी के रूप

22 दिसम्बर 2024
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कभी उठती, कभी गिरती, कभी मचलती सी जिंदगी नजर आती है। कभी बदहवास दौड़ती,तो कभी दम लेने को थम सी जाती है। कभी अपनों से मिलाती,रिश्तों की, पहचान कराती नजर आती है। कभी रंगो

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