मन के किसी कोने में छिपे भावों के मोती कभी कविता,कभी गजल का रूप ले लेते हैं। उन्हें दिल की किताब से बाहर ला पन्नों पर उकेरने का प्रयास करती हूँ। कभी ये भाव सामाजिक कभी अपने आप से प्रशन करते नजर आते हैं।कम शब्दों में बहुत कुछ कहता काव्य ! मन के किसी कोने में हिलोरे ले रहीं नैया का कभी मांझी तो कभी पतवार बन जाता है। शब्द जो छू जाते हैं,गैर के दर्द को,अहसास करा देते हैं।कुछ अल्फ़ाज दिल की गहराइयों में उतर आते हैं। कुछ आपकी कुछ मेरी कविताएँ जो जोड़ती हैं एक दूजे से मेरी इन कविताओं को अपनी समीक्षाओं द्वारा प्यार औआशीर्वाद दीजियेगा ।
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