shabd-logo

माँ

13 फरवरी 2015

65 बार देखा गया 65
1

ना छोड़ बन्दे आस तू .

10 फरवरी 2015
0
0
1

ना छोड़ बन्दे आस तू . कर प़यास तू . राते कटेगीँ सबेरा भी होगा . तेरे विरान शहर मे बसेरा भी होगा . उम्वीदो के दीपक मन मे जलाकर, कर निरन्तर अभ्यास तू . तू कर सकता है तू चल सकता है . है हिम्मत भी तेरे मे . तू लड़ सकता है तू बढ़ सकता है . है साहस भी तेरे मे . मजबूत कर खुद को इतना, दिल से ना हार तू. ना छोड़ बन्दे आस तू . कर प़यास तू.

2

अ अ अ अ अ

12 फरवरी 2015
0
0
1

अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ

3

माँ

13 फरवरी 2015
0
0
0

मैने सबकुछ लिखा

4

शायरी

1 अक्टूबर 2015
0
2
1

आना और जाना खेल हैं , इसे खेलना पड़ेगा.जिन्दगी छाँव व धूप का मेल हैं, इसे झेलना पड़ेगा.राहो में मुश्किल चाहें जितना भी आयें.पर लक्छ्य को हमे भेदना पड़ेगा.

5

नमस्कार

8 जून 2016
0
0
1

नमस्कार

6

चलते रहो.

8 जून 2016
0
2
0

यह शायरी हमें निरन्तर चलने की प्रेरणा देती है.

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए