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शायरी

1 अक्टूबर 2015

195 बार देखा गया 195
featured imageआना और जाना खेल हैं , इसे खेलना पड़ेगा. जिन्दगी छाँव व धूप का मेल हैं, इसे झेलना पड़ेगा. राहो में मुश्किल चाहें जितना भी आयें. पर लक्छ्य को हमे भेदना पड़ेगा.
Hemant singh

Hemant singh

अच्छा

1 अक्टूबर 2015

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ना छोड़ बन्दे आस तू .

10 फरवरी 2015
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ना छोड़ बन्दे आस तू . कर प़यास तू . राते कटेगीँ सबेरा भी होगा . तेरे विरान शहर मे बसेरा भी होगा . उम्वीदो के दीपक मन मे जलाकर, कर निरन्तर अभ्यास तू . तू कर सकता है तू चल सकता है . है हिम्मत भी तेरे मे . तू लड़ सकता है तू बढ़ सकता है . है साहस भी तेरे मे . मजबूत कर खुद को इतना, दिल से ना हार तू. ना छोड़ बन्दे आस तू . कर प़यास तू.

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अ अ अ अ अ

12 फरवरी 2015
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अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ

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माँ

13 फरवरी 2015
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मैने सबकुछ लिखा

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शायरी

1 अक्टूबर 2015
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आना और जाना खेल हैं , इसे खेलना पड़ेगा.जिन्दगी छाँव व धूप का मेल हैं, इसे झेलना पड़ेगा.राहो में मुश्किल चाहें जितना भी आयें.पर लक्छ्य को हमे भेदना पड़ेगा.

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नमस्कार

8 जून 2016
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नमस्कार

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चलते रहो.

8 जून 2016
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यह शायरी हमें निरन्तर चलने की प्रेरणा देती है.

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